08-01-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप की
श्रीमत तुम्हें 21 पीढ़ी का सुख दे देती है, इतनी न्यारी मत बाप के सिवाए कोई दे नहीं
सकता, तुम श्रीमत पर चलते रहो''
प्रश्नः-
अपने आपको
राजतिलक देने का सहज पुरूषार्थ क्या है?
उत्तर:-
1. अपने आपको
राज-तिलक देने के लिए बाप की जो शिक्षायें मिलती हैं उन पर अच्छी रीति चलो। इसमें
आशीर्वाद वा कृपा की बात नहीं। 2. फालो फादर करो, दूसरे को नहीं देखना है, मन्मनाभव,
इससे अपने को आपेही तिलक मिलता है। पढ़ाई और याद की यात्रा से ही तुम बेगर टू
प्रिन्स बनते हो।
गीत:-
ओम् नमो शिवाए........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अविनाशी ज्ञान धन का दान कर महादानी बनना है। जैसे ब्रह्मा बाप ने
अपना सब कुछ इसमें लगा दिया, ऐसे फालो फादर कर राजाई में ऊंच पद लेना है।
2) सजाओं से बचने के लिए ऐसा योग कमाना है जो कर्मातीत अवस्था को पा लें। पास
विद् ऑनर बनने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है। दूसरों को नहीं देखना है।
वरदान:-
कड़े नियम और
दृढ़ संकल्प द्वारा अलबेलेपन को समाप्त करने वाले ब्रह्मा बाप समान अथक भव
ब्रह्मा बाप समान अथक बनने
के लिए अलबेलेपन को समाप्त करो, इसके लिए कोई कड़ा नियम बनाओ। दृढ़ संकल्प करो,
अटेन्शन रूपी चौकीदार सदा अलर्ट रहें तो अलबेलापन समाप्त हो जायेगा। पहले स्व के
ऊपर मेहनत करो फिर सेवा में, तब धरनी परिवर्तन होगी। अभी सिर्फ “कर लेंगे, हो जायेगा''
इस आराम के संकल्पों के डंलप को छोड़ो। करना ही है, यह स्लोगन मस्तक में याद रहे तो
परिवर्तन हो जायेगा।
स्लोगन:-
समर्थ
बोल की निशानी है - जिस बोल में आत्मिक भाव और शुभ भावना हो।
अपनी शक्तिशाली
मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो
जितना-जितना समय
समीप आता जा रहा है उतना व्यर्थ संकल्प भी बढ़ रहे हैं, लेकिन यह चुक्तू होने के
लिए बाहर निकल रहे हैं। उन्हों का काम है आना और आपका काम है उड़ती कला द्वारा,
सकाश द्वारा परिवर्तन करना। घबराओ नहीं। उसके सेक में नहीं आओ।