08-02-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम खुदाई
खिदमतगार सच्चे सैलवेशन आर्मी हो, तुम्हें सबको शान्ति की सैलवेशन देनी है''
प्रश्नः-
तुम बच्चों से
जब कोई शान्ति की सैलवेशन मांगते हैं तो उन्हें क्या समझाना चाहिए?
उत्तर:-
उन्हें बोलो -
बाप कहते हैं क्या अभी यहाँ ही तुमको शान्ति चाहिए। यह कोई शान्तिधाम नहीं है।
शान्ति तो शान्तिधाम में ही हो सकती है, जिसको मूलवतन कहा जाता है। आत्मा को जब
शरीर नहीं है तब शान्ति है। सतयुग में पवित्रता-सुख-शान्ति सब है। बाप ही आकर यह
वर्सा देते हैं। तुम बाप को याद करो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) 5 तत्वों के बने हुए इन शरीरों को देखते हुए याद बाप को करना है। कोई
भी देहधारी से लागत (लगाव) नहीं रखना है। कोई विकर्म नहीं करना है।
2) इस बने-बनाये ड्रामा में हर आत्मा का अनादि पार्ट है, आत्मा एक शरीर छोड़
दूसरा लेती है, इसलिए शरीर छोड़ने पर चिंता नहीं करनी है, मोहजीत बनना है।
वरदान:-
सम्पूर्ण आहुति
द्वारा परिवर्तन समारोह मनाने वाले दृढ़ संकल्पधारी भव
जैसे कहावत है “धरत परिये
धर्म न छोड़िये'', तो कोई भी सरकमस्टांश आ जाए, माया के महावीर रूप सामने आ जाएं
लेकिन धारणायें न छूटे। संकल्प द्वारा त्याग की हुई बेकार वस्तुयें संकल्प में भी
स्वीकार न हों। सदा अपने श्रेष्ठ स्वमान, श्रेष्ठ स्मृति और श्रेष्ठ जीवन के समर्थी
स्वरूप द्वारा श्रेष्ठ पार्टधारी बन श्रेष्ठता का खेल करते रहो। कमजोरियों के सब
खेल समाप्त हो जाएं। जब ऐसी सम्पूर्ण आहुति का संकल्प दृढ़ होगा तब परिवर्तन समारोह
होगा। इस समारोह की डेट अब संगठति रूप में निश्चित करो।
स्लोगन:-
रीयल
डायमण्ड बनकर अपने वायब्रेशन की चमक विश्व में फैलाओ।
अव्यक्त इशारे:
एकान्तप्रिय बनो एकता और एकाग्रता को अपनाओ
साधारण सेवायें
करना ये कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन बिगड़ी को बनाना, अनेकता में एकता लाना ये है
बड़ी बात। बापदादा यही कहते हैं कि पहले एकमत, एक बल, एक भरोसा और एकता - साथियों
में, सेवा में, वायुमण्डल में हो।