08-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - रूहानी
सर्विस कर अपना और दूसरों का कल्याण करो, बाप से सच्ची दिल रखो तो बाप की दिल पर चढ़
जायेंगे''
प्रश्नः-
देही-अभिमानी
बनने की मेहनत कौन कर सकते हैं? देही-अभिमानी की निशानियाँ सुनाओ?
उत्तर:-
जिनका पढ़ाई
से और बाप से अटूट प्यार है वह देही-अभिमानी बनने की मेहनत कर सकते हैं। वह शीतल
होंगे, किसी से भी अधिक बात नहीं करेंगे, उनका बाप से लॅव होगा, चलन बड़ी रॉयल होगी।
उन्हें नशा रहता कि हमें भगवान पढ़ाते हैं, हम उनके बच्चे हैं। वह सुखदाई होंगे। हर
कदम श्रीमत पर उठायेंगे।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पिता स्नेही बनने के लिए बहुत-बहुत सुखदाई बनना है। अपना बोल चाल
बहुत मीठा रॉयल रखना है। सर्विसएबुल बनना है। निरहंकारी बन सेवा करनी है।
2) पढ़ाई और बाप को छोड़कर कभी आपघाती महापापी नहीं बनना है। मुख्य है रूहानी
सर्विस, इस सर्विस में कभी थकना नहीं है। ज्ञान रत्नों का दान करना है, मनहूस नहीं
बनना है।
वरदान:-
सदा निजधाम और
निज स्वरूप की स्मृति से उपराम, न्यारे प्यारे भव
निराकारी दुनिया और
निराकारी रूप की स्मृति ही सदा न्यारा और प्यारा बना देती है। हम हैं ही निराकारी
दुनिया के निवासी, यहाँ सेवा अर्थ अवतरित हुए हैं। हम इस मृत्युलोक के नहीं लेकिन
अवतार हैं सिर्फ यह छोटी सी बात याद रहे तो उपराम हो जायेंगे। जो अवतार न समझ
गृहस्थी समझते हैं तो गृहस्थी की गाड़ी कीचड़ में फंसी रहती है, गृहस्थी है ही बोझ
की स्थिति और अवतार बिल्कुल हल्का है। अवतार समझने से अपना निजी धाम निजी स्वरूप
याद रहेगा और उपराम हो जायेंगे।
स्लोगन:-
ब्राह्मण वह है जो शुद्धि और विधि पूर्वक हर कार्य करे।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
जो निर्मान होता
है वही नव-निर्माण कर सकता है। शुभ-भावना वा शुभ-कामना का बीज ही है निमित्त-भाव और
निर्मान-भाव। हद का मान नहीं, लेकिन निर्मान। अब अपने जीवन में सत्यता और सभ्यता के
संस्कार धारण करो। यदि न चाहते हुए भी कभी क्रोध या चिड़चिड़ापन आ जाए तो दिल से कहो
“मीठा बाबा'', तो एकस्ट्रा मदद मिल जायेगी।