08-05-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - विश्व की सभी आत्मायें अन्जान और दु:खी हैं, आप उन पर उपकार करो, बाप का परिचय देकर खुशी में लाओ, उनकी आंखे खोलो''

प्रश्नः-
किसी भी सेन्टर की वृद्धि का आधार क्या है?

उत्तर:-
नि:स्वार्थ सच्चे दिल की सेवा। तुम्हें सर्विस का सदा शौक रहे तो हुण्डी भरती रहेगी। जहाँ पर सर्विस हो सकती है वहाँ प्रबन्ध करना चाहिए। मांगना किसी से भी नहीं है। मांगने से मरना भला। आपेही सब कुछ आयेगा। तुम बाहर वालों की तरह चन्दा इकट्ठा नहीं कर सकते। मांगने से सेन्टर ज़ोर नहीं भरेगा इसलिए बिगर मांगे सेन्टर को जमाओ।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान को जीवन में धारण कर खुशी में गद्गद् होना है। वन्डरफुल ज्ञान और ज्ञान दाता का सिमरण कर ज्ञान डांस करना है।

2) अपने पार्ट का ही सिमरण करना है, दूसरों के पार्ट को नहीं देखना है। माया बड़ी प्रबल है इसलिए खबरदार रहना है। अपनी उन्नति में लगे रहो। सर्विस का शौक रखो।

वरदान:-
अच्छाई पर प्रभावित होने के बजाए उसे स्वयं में धारण करने वाले परमात्म स्नेही भव

अगर परमात्म स्नेही बनना है तो बॉडीकानसेस की रूकावटों को चेक करो। कई बच्चे कहते हैं यह बहुत अच्छा या अच्छी है इसलिए थोड़ा रहम आता है...कोई का किसी के शरीर से लगाव होता तो कोई का किसी के गुणों वा विशेषताओं से। लेकिन वह विशेषता वा गुण देने वाला कौन? कोई अच्छा है तो अच्छाई को धारण भले करो लेकिन अच्छाई में प्रभावित नहीं हो जाओ। न्यारे और बाप के प्यारे बनो। ऐसे प्यारे अर्थात् परमात्म स्नेही बच्चे सदा सेफ रहते हैं।

स्लोगन:-
साइलेन्स की शक्ति इमर्ज करो तो सेवा की गति फास्ट हो जायेगी।