08-06-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - याद से
विकर्म विनाश होते हैं, ट्रांस से नहीं। ट्रांस तो पाई पैसे का खेल है, इसलिए
ट्रांस में जाने की आश नहीं रखो''
प्रश्नः-
माया के
भिन्न-भिन्न रूपों से बचने के लिए बाप सब बच्चों को कौन-सी एक सावधानी देते हैं?
उत्तर:-
मीठे बच्चे,
ट्रांस की आश मत रखो। ज्ञान-योग में ट्रांस का कोई कनेक्शन नहीं। मुख्य है पढ़ाई।
कोई ट्रांस में जाकर कहते हैं हमारे में मम्मा आई, बाबा आया। यह सब सूक्ष्म माया के
संकल्प हैं, इनसे बहुत सावधान रहना है। माया कई बच्चों में प्रवेश कर उल्टा कार्य
करा देती है इसलिए ट्रांस की आश नहीं रखनी है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) संगमयुग पर स्वयं को ट्रांसफर करना है। पढ़ाई और पवित्रता की धारणा
से अपने कैरेक्टर सुधारने हैं, ट्रांस आदि का शौक नहीं रखना है।
2) शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भी करना है, नींद भी करनी है, हठयोग नहीं है, लेकिन
याद की यात्रा को कभी भूलना नहीं है। योगयुक्त होकर ऐसा शुद्ध भोजन बनाओ और खिलाओ
जो खाने वाले का हृदय शुद्ध हो जाये।
वरदान:-
अपनी सूक्ष्म
शक्तियों पर विजयी बनने वाले राजऋषि, स्वराज्य अधिकारी आत्मा भव
कर्मेन्द्रिय जीत बनना तो
सहज है लेकिन मन-बुद्धि-संस्कार - इन सूक्ष्म शक्तियों पर विजयी बनना - यह सूक्ष्म
अभ्यास है। जिस समय जो संकल्प, जो संस्कार इमर्ज करने चाहें वही संकल्प, वही
संस्कार सहज अपना सकें - इसको कहते हैं सूक्ष्म शक्तियों पर विजय अर्थात् राजऋषि
स्थिति। अगर संकल्प शक्ति को आर्डर करो कि अभी-अभी एकाग्रचित हो जाओ, तो राजा का
आर्डर उसी घड़ी उसी प्रकार से मानना, यही है - राज्य अधिकार की निशानी। इसी अभ्यास
से अन्तिम पेपर में पास होंगे।
स्लोगन:-
सेवाओं
से जो दुआयें मिलती हैं यही सबसे बड़े से बड़ी देन हैं।