08-07-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप समान अपकारियों पर भी उपकार करना सीखो, निंदक को भी अपना मित्र बनाओ''

प्रश्नः-
बाप की कौन-सी दृष्टि पक्की है? तुम बच्चों को कौन-सी पक्की करनी है?

उत्तर:-
बाप की दृष्टि पक्की है कि जो भी आत्मायें हैं सब मेरे बच्चे हैं इसलिए बच्चे-बच्चे कहते रहते हैं। तुम कभी भी किसी को बच्चे-बच्चे नहीं कह सकते हो। तुम्हें यह दृष्टि पक्की करनी है कि यह आत्मा हमारा भाई है। भाई को देखो, भाई से बात करो, इससे रूहानी प्यार रहेगा। क्रिमिनल ख्यालात खत्म हो जायेंगे। निंदा करने वाला भी मित्र बन जायेगा।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस गुह्य वा अटपटे ज्ञान को समझने के लिए बुद्धि को याद की यात्रा से सोने का बर्तन बनाना है। याद की रेस करनी है।

2) बाप के डायरेक्शन पर चलकर, पढ़ाई को ध्यान से पढ़कर अपने ऊपर आपेही कृपा वा आशीर्वाद करनी है, अपने को राजतिलक देना है। निंदक को अपना मित्र समझ उनकी भी सद्गति करनी है।

वरदान:-
ऊपर से अवतरित हो अवतार बन सेवा करने वाले साक्षात्कार मूर्त भव

जैसे बाप सेवा के लिए वतन से नीचे आते हैं, ऐसे हम भी सेवा के प्रति वतन से आये हैं, ऐसे अनुभव कर सेवा करो तो सदा न्यारे और बाप समान विश्व के प्यारे बन जायेंगे। ऊपर से नीचे आना माना अवतार बन अवतरित होकर सेवा करना। सभी चाहते हैं कि अवतार आयें और हमको साथ ले जायें। तो सच्चे अवतार आप हो जो सबको मुक्तिधाम में साथ ले जायेंगे। जब अवतार समझकर सेवा करेंगे तब साक्षात्कार मूर्त बनेंगे और अनेकों की इच्छायें पूर्ण होंगी।

स्लोगन:-
आपको कोई अच्छा दे या बुरा आप सबको स्नेह दो, सहयोग दो, रहम करो।