08-11-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम यह राजयोग की पढ़ाई पढ़ते हो राजाई के लिए, यह है तुम्हारी नई पढ़ाई''

प्रश्नः-
इस पढ़ाई में कई बच्चे चलते-चलते फेल क्यों हो जाते हैं?

उत्तर:-
क्योंकि इस पढ़ाई में माया के साथ बॉक्सिंग है। माया की बॉक्सिंग में बुद्धि को बहुत कड़ी चोट लग जाती है। चोट लगने का कारण बाप से सच्चे नहीं हैं। सच्चे बच्चे सदा सेफ रहते हैं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बहुत-बहुत आज्ञाकारी, मीठा होकर चलना है। देह-अहंकार में नहीं आना है। बाप का बच्चा बनकर फिर कोई भी भूल नहीं करनी है। माया की बॉक्सिंग में बहुत-बहुत खबरदार रहना है।

2) अपने वचनों (वाक्यों) में ताकत भरने के लिए आत्म-अभिमानी रहने का अभ्यास करना है। स्मृति रहे - बाप का सिखलाया हुआ हम सुना रहे हैं तो उसमें जौहर भरेगा।

वरदान:-
अविनाशी नशे में रह रूहानी मज़े और मौज का अनुभव करने वाले ब्राह्मण सो फरिश्ता भव

आप ब्राह्मण सो फरिश्ते देवताओं से भी ऊंचे हो, देवताई जीवन में बाप का ज्ञान इमर्ज नहीं होगा। परमात्म मिलन का अनुभव भी नहीं होगा इसलिए अभी सदा यह नशा रहे कि हम देवताओं से भी ऊंच ब्राह्मण सो फरिश्ता हैं। यह अविनाशी नशा ही रूहानी मजे और मौज का अनुभव कराने वाला है। अगर नशा सदा नहीं रहेगा तो कभी मजे में रहेंगे, कभी मूंझेंगे।

स्लोगन:-
अपनी सेवा को भी बाप के आगे अर्पित कर दो तब कहेंगे समर्पित आत्मा।