09-01-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें
विकर्मों की सज़ा से मुक्त होने का पुरूषार्थ करना है, इस अन्तिम जन्म में सब
हिसाब-किताब चुक्तू कर पावन बनना है''
प्रश्नः-
धोखेबाज माया
कौन-सी प्रतिज्ञा तुड़वाने की कोशिश करती है?
उत्तर:-
तुमने
प्रतिज्ञा की है - कोई भी देहधारी से हम दिल नहीं लगायेंगे। आत्मा कहती है हम एक
बाप को ही याद करेंगे, अपनी देह को भी याद नहीं करेंगे। बाप, देह सहित सबका संन्यास
कराते हैं। परन्तु माया यही प्रतिज्ञा तुड़वाती है। देह में लगाव हो जाता है। जो
प्रतिज्ञा तोड़ते हैं उन्हें सजायें भी बहुत खानी पड़ती हैं।
गीत:-
तुम्हीं हो
माता-पिता तुम्हीं हो........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कर्मातीत बनने के लिए बाप को महीन बुद्धि से पहचान कर यथार्थ याद करना
है। पढ़ाई के साथ-साथ योग पर पूरा अटेन्शन देना है।
2) स्वयं को माया के धोखे से बचाना है। कोई की भी देह में लगाव नहीं रखना है।
सच्ची प्रीत एक बाप से रखनी है। देह-अभिमान में नहीं आना है।
वरदान:-
ब्रह्म-महूर्त
के समय वरदान लेने और दान देने वाले बाप समान वरदानी, महादानी भव
ब्रह्म-महूर्त के समय
विशेष ब्रह्मलोक निवासी बाप ज्ञान सूर्य की लाईट और माइट की किरणें बच्चों को वरदान
रूप में देते हैं। साथ-साथ ब्रह्मा बाप भाग्य विधाता के रूप में भाग्य रूपी अमृत
बांटते हैं सिर्फ बुद्धि रूपी कलष अमृत धारण करने योग्य हो। किसी भी प्रकार का
विघ्न या रूकावट न हो, तो सारे दिन के लिए श्रेष्ठ स्थिति वा कर्म का महूर्त निकाल
सकते हो क्योंकि अमृतवेले का वातावरण ही वृत्ति को बदलने वाला होता है इसलिए उस समय
वरदान लेते हुए दान दो अर्थात् वरदानी और महादानी बनो।
स्लोगन:-
क्रोधी
का काम है क्रोध करना और आपका काम है स्नेह देना।
अपनी शक्तिशाली
मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो
अब स्व कल्याण का
ऐसा श्रेष्ठ प्लैन बनाओ जो विश्व सेवा में सकाश आपेही मिलती रहे। अभी उमंग-उत्साह
से अपने मन में यह पक्का वायदा करो कि हम बाप समान बनकर ही दिखायेंगे। ब्रह्मा बाप
का भी बच्चों से अति स्नेह है इसलिए एक-एक बच्चे को इमर्ज कर विशेष समान बनने की
सकाश देते रहते हैं।