09-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - हर एक की
नब्ज देख पहले उसे अल्फ का निश्चय कराओ फिर आगे बढ़ो, अल्फ के निश्चय बिना ज्ञान
देना टाइम वेस्ट करना है''
प्रश्नः-
कौन-सा मुख्य
एक पुरुषार्थ स्कॉलरशिप लेने का अधिकारी बना देता है?
उत्तर:-
अन्तर्मुखता
का। तुम्हें बहुत अन्तर्मुखी रहना है। बाप तो है कल्याणकारी। कल्याण के लिए ही राय
देते हैं। जो अन्तर्मुखी योगी बच्चे हैं वह कभी देह-अभिमान में आकर रूसते वा लड़ते
नहीं। उनकी चलन बड़ी रॉयल शानदार होती है। बहुत थोड़ा बोलते हैं, यज्ञ सर्विस में
रुचि रखते हैं। वह ज्ञान की ज्यादा तिक-तिक नहीं करते, याद में रहकर सर्विस करते
हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) योग में बहुत मेहनत है, ट्रायल करके देखना है कि कर्म में कितना समय
बाप की याद रहती है! याद में रहने से ही कल्याण है, मीठे माशूक को बहुत प्यार से
याद करना है, याद का चार्ट रखना है।
2) महीन बुद्धि से इस ड्रामा के राज़ को समझना है। यह बहुत-बहुत कल्याणकारी
ड्रामा है, हम जो बोलते हैं वा करते हैं वह फिर 5 हज़ार वर्ष बाद रिपीट होगा, इसे
यथार्थ समझ खुशी में रहना है।
वरदान:-
अपने श्रेष्ठ
जीवन द्वारा परमात्म ज्ञान का प्रत्यक्ष प्रूफ देने वाले माया प्रूफ भव
स्वयं को परमात्म ज्ञान का
प्रत्यक्ष प्रमाण वा प्रूफ समझने से माया प्रूफ बन जायेंगे। प्रत्यक्ष प्रूफ है -
आपकी श्रेष्ठ पवित्र जीवन। सबसे बड़ी असम्भव से सम्भव होने वाली बात प्रवृत्ति में
रहते पर-वृत्ति में रहना। देह और देह की दुनिया के संबंधों से पर (न्यारा) रहना।
पुराने शरीर की आंखों से पुरानी दुनिया की वस्तुओं को देखते हुए न देखना अर्थात्
सम्पूर्ण पवित्र जीवन में चलना - यही परमात्मा को प्रत्यक्ष करने वा माया प्रूफ बनने
का सहज साधन है।
स्लोगन:-
अटेन्शन रूपी पहरेदार ठीक हैं तो अतीन्द्रिय सुख का खजाना खो नहीं सकता।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
बाप को कम्पेनियन
तो बनाया है अब उसे कम्बाइण्ड रूप में अनुभव करो और इस अनुभव को बार-बार स्मृति में
लाते-लाते स्मृति-स्वरूप बन जाओ। बार-बार चेक करो कि कम्बाइण्ड हूँ, किनारा तो नहीं
कर लिया? जितना कम्बाइण्ड-रूप का अनुभव बढ़ाते जायेंगे उतना ब्राह्मण जीवन बहुत
प्यारी, मनोरंजक अनुभव होगी।