09-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - विनाश के
पहले सबको बाप का परिचय देना है, धारणा कर दूसरों को समझाओ तब ऊंच पद मिल सकेगा''
प्रश्नः-
राजयोगी
स्टूडेन्ट्स को बाप का डायरेक्शन क्या है?
उत्तर:-
तुम्हें
डायरेक्शन है कि एक बाप का बनकर फिर औरों से दिल नहीं लगानी है। प्रतिज्ञा कर फिर
पतित नहीं बनना है। तुम ऐसा सम्पूर्ण पावन बन जाओ जो बाप और टीचर की याद स्वत:
निरन्तर बनी रहे। एक बाप से ही प्यार करो, उसे ही याद करो तो तुम्हें बहुत ताकत
मिलती रहेगी।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) यह खेल बड़ा मज़े का बना हुआ है, इसमें सुख और दु:ख का पार्ट नूँधा
हुआ है इसलिए रोने पीटने की बात नहीं। बुद्धि में रहे बनी-बनाई बन रही, बीती का
चिंतन नहीं करना है।
2) यह कॉमन क्लास नहीं है, इसमें आंखे बन्द करके नहीं बैठना है। टीचर को सामने
देखना है। उबासी आदि नहीं लेनी है। उबासी गम (दु:ख) की निशानी है।
वरदान:-
सन्तुष्टता के
तीन सर्टीफिकेट ले अपने योगी जीवन का प्रभाव डालने वाले सहजयोगी भव
सन्तुष्टता योगी जीवन का
विशेष लक्ष्य है, जो सदा सन्तुष्ट रहते और सर्व को सन्तुष्ट करते हैं उनके योगी
जीवन का प्रभाव दूसरों पर स्वत: पड़ता है। जैसे साइन्स के साधनों का वायुमण्डल पर
प्रभाव पड़ता है, ऐसे सहजयोगी जीवन का भी प्रभाव होता है। योगी जीवन के तीन
सर्टीफिकेट हैं एक - स्व से सन्तुष्ट, दूसरा - बाप सन्तुष्ट और तीसरा - लौकिक
अलौकिक परिवार सन्तुष्ट।
स्लोगन:-
स्वराज्य का तिलक, विश्व कल्याण का ताज और स्थिति के तख्त पर विराजमान रहने वाले ही
राजयोगी हैं।