09-12-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाबा आये
हैं तुम्हें बेहद की जागीर देने, ऐसे मीठे बाबा को तुम प्यार से याद करो तो पावन बन
जायेंगे''
प्रश्नः-
विनाश का समय
जितना नजदीक आता जायेगा - उसकी निशानियां क्या होंगी?
उत्तर:-
विनाश का समय
नज़दीक होगा तो 1- सबको मालूम पड़ता जायेगा कि हमारा बाबा आया हुआ है। 2- अब नई
दुनिया की स्थापना, पुरानी का विनाश होना है। बहुतों को साक्षात्कार भी होंगे। 3-
संन्यासियों, राजाओं आदि को ज्ञान मिलेगा। 4- जब सुनेंगे कि बेहद का बाप आया है, वही
सद्गति देने वाला है तो बहुत आयेंगे। 5- अखबारों द्वारा अनेकों को सन्देश मिलेगा।
6- तुम बच्चे आत्म-अभिमानी बनते जायेंगे, एक बाप की ही याद में अतीन्द्रिय सुख में
रहेंगे।
गीत:-
इस पाप की
दुनिया से......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) माला में पिरोने के लिए देही-अभिमानी बन तीव्र वेग से याद की यात्रा
करनी है। बाप के फरमान पर चलकर पावन बनना है।
2) बाप का परिचय दे बहुतों को आप समान बनाने की सर्विस करनी है। यहाँ वनवाह में
रहना है। अन्तिम हाहाकार की सीन देखने के लिए महावीर बनना है।
वरदान:-
बन्धनों के
पिंजड़े को तोड़कर जीवनमुक्त स्थिति का अनुभव करने वाले सच्चे ट्रस्टी भव
शरीर का वा सम्बन्ध का
बन्धन ही पिंजड़ा है। फर्जअदाई भी निमित्त मात्र निभानी है, लगाव से नहीं तब कहेंगे
निर्बन्धन। जो ट्रस्टी बनकर चलते हैं वही निर्बन्धन हैं यदि कोई भी मेरापन है तो
पिंजड़े में बंद हैं। अभी पिंजड़े की मैना से फरिश्ते बन गये इसलिए कहाँ जरा भी
बंधन न हो। मन का भी बंधन नहीं। क्या करूं, कैसे करूं, चाहता हूँ होता नहीं - यह भी
मन का बंधन है। जब मरजीवा बन गये तो सब प्रकार के बंधन समाप्त, सदा जीवनमुक्त स्थिति
का अनुभव होता रहे।
स्लोगन:-
संकल्पों
को बचाओ तो समय, बोल सब स्वत:बच जायेंगे।
अव्यक्त इशारे -
अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ
कर्मातीत अर्थात्
कर्म के किसी भी बंधन के स्पर्श से न्यारे। ऐसा ही अनुभव बढ़ता रहे। कोई भी कार्य
स्पर्श न करे और करने के बाद जो रिजल्ट निकलती है उसका भी स्पर्श न हो, बिल्कुल ही
न्यारापन अनुभव होता रहे। जैसेकि दूसरे कोई ने कराया और मैंने किया। निमित्त बनने
में भी न्यारापन अनुभव हो। जो कुछ बीता, फुलस्टाप लगाकर न्यारे बन जाओ।