10-06-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हें
श्रीमत पर सबको सुख देना है, तुमको श्रेष्ठ मत मिलती है श्रेष्ठ बनकर दूसरों को
बनाने के लिए''
प्रश्नः-
रहमदिल बच्चों
के दिल में कौन-सी लहर आती है? उन्हें क्या करना चाहिए?
उत्तर:-
जो रहमदिल
बच्चे हैं उनकी दिल होती है - हम गांव-गांव में जाकर सर्विस करें। आजकल बिचारे बहुत
दु:खी हैं, उनको जाकर खुशखबरी सुनायें कि विश्व में पवित्रता, सुख और शान्ति का दैवी
स्वराज्य स्थापन हो रहा है, यह वही महाभारत लड़ाई है, बरोबर उस समय बाप भी था, अभी
भी बाप आया हुआ है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा यह निश्चय रहे कि हम ईश्वरीय औलाद हैं, हमें श्रेष्ठ मत पर चलना
है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। सबको सुख का रास्ता बताना है।
2) सपूत बच्चा बन बाप पर कुर्बान जाना है, बाप की हर कामना पूरी करनी है। जैसे
बापदादा निर्मान और निरहंकारी है, ऐसे बाप समान बनना है।
वरदान:-
स्व-उन्नति
द्वारा सेवा में उन्नति करने वाले सच्चे सेवाधारी भव
स्व-उन्नति सेवा की उन्नति
का विशेष आधार है। स्व-उन्नति कम है तो सेवा भी कम है। सिर्फ किसी को मुख से परिचय
देना ही सेवा नहीं है लेकिन हर कर्म द्वारा श्रेष्ठ कर्म की प्रेरणा देना यह भी सेवा
है। जो मन्सा-वाचा-कर्मणा सदा सेवा में तत्पर रहते हैं उन्हें सेवा द्वारा श्रेष्ठ
भाग्य का अनुभव होता है। जितनी सेवा करते उतना स्वयं भी आगे बढ़ते हैं। अपने
श्रेष्ठ कर्म द्वारा सेवा करने वाले सदा प्रत्यक्षफल प्राप्त करते रहते हैं।
स्लोगन:-
समीप
आने के लिए सोचना-बोलना और करना समान बनाओ।
अव्यक्त
इशारे-आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास करो, अन्तर्मुखी बनो
एकाग्रता का आधार
अन्तर्मुखता है। अन्तर्मुखता में रहने से सूक्ष्म शक्ति की लीलाएं अनुभव करेंगे।
आत्मिक स्थिति में रह आत्माओं का आह्वान करना, आत्माओं से रूह-रूहान करना, आत्माओं
के संस्कार-स्वभाव को परिवर्तन करना, आत्माओं का बाप से कनेक्शन जुड़वाना, ऐसे
रूहानी लीला का अनुभव होगा।