10-07-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अब सतोप्रधान बन घर जाना है इसलिए अपने को आत्मा समझ निरन्तर बाप को याद करने का अभ्यास करो, उन्नति का सदा ख्याल रखो''

प्रश्नः-
पढ़ाई में दिन-प्रतिदिन आगे बढ़ रहे हैं या पीछे हट रहे हैं उसकी निशानी क्या है?

उत्तर:-
पढ़ाई में अगर आगे बढ़ रहे हैं तो हल्केपन का अनुभव होगा। बुद्धि में रहेगा यह शरीर तो छी-छी है, इसको छोड़ना है, हमको तो अब घर जाना है। दैवीगुण धारण करते जायेंगे। अगर पीछे हट रहे हैं तो चलन से आसुरी गुण दिखाई देंगे। चलते-फिरते बाप की याद नहीं रहेगी। वह फूल बन सबको सुख नहीं दे सकेंगे। ऐसे बच्चों को आगे चल साक्षात्कार होंगे फिर बहुत सजायें खानी पड़ेंगी।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) चलते फिरते बुद्धि में पढ़ाई का चिंतन करना है। कोई भी कार्य करते बुद्धि में सदा ज्ञान टपकता रहे। यह दी बेस्ट पढ़ाई है, जिसे पढ़कर डबल क्राउन बनना है।

2) अभ्यास करना है हम आत्मा भाई-भाई हैं। देह-अभिमान में आने से उल्टे काम होते हैं इसलिए जितना हो सके देही-अभिमानी रहना है।

वरदान:-
सत्यता की शक्ति द्वारा सदा खुशी में नाचने वाले शक्तिशाली महान आत्मा भव

कहा जाता है “सच तो बिठो नच''। सच्चा अर्थात् सत्यता की शक्ति वाला सदा नाचता रहेगा, कभी मुरझायेगा नहीं, उलझेगा नहीं, घबरायेगा नहीं, कमजोर नहीं होगा। वह खुशी में सदा नाचता रहेगा। शक्तिशाली होगा। उसमें सामना करने की शक्ति होगी, सत्यता कभी हिलती नहीं है, अचल होती है। सत्य की नांव डोलती है लेकिन डूबती नहीं। तो सत्यता की शक्ति को धारण करने वाली आत्मा ही महान है।

स्लोगन:-
व्यस्त मन-बुद्धि को सेकण्ड में स्टॉप कर लेना ही सर्व श्रेष्ठ अभ्यास है।