11-01-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - योग, अग्नि के समान है, जिसमें तुम्हारे पाप जल जाते हैं, आत्मा सतोप्रधान बन जाती है इसलिए एक बाप की याद में (योग में) रहो''

प्रश्नः-
पुण्य आत्मा बनने वाले बच्चों को किस बात का बहुत-बहुत ध्यान रखना है?

उत्तर:-
पैसा दान किसे देना है, इस बात पर पूरा ध्यान रखना है। अगर किसको पैसा दिया और उसने जाकर शराब आदि पिया, बुरे कर्म किये तो उसका पाप तुम्हारे ऊपर आ जायेगा। तुम्हें पाप आत्माओं से अब लेन-देन नहीं करनी है। यहाँ तो तुम्हें पुण्य आत्मा बनना है।

गीत:-
न वह हमसे जुदा होंगे.........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अब मुसाफिरी पूरी हुई, वापस घर जाना है इसलिए इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य रख बुद्धियोग बाप की याद में ऊपर लटकाना है।

2) संगमयुग पर बाप ने जो यज्ञ रचा है, इस यज्ञ की सम्भाल करने के लिए सच्चा-सच्चा पवित्र ब्राह्मण बनना है। काम काज करते बाप की याद में रहना है।

वरदान:-
आदि रत्न की स्मृति से अपने जीवन का मूल्य जानने वाले सदा समर्थ भव

जैसे ब्रह्मा आदि देव है, ऐसे ब्रह्माकुमार, कुमारियां भी आदि रत्न हैं। आदि देव के बच्चे मास्टर आदि देव हैं। आदि रत्न समझने से ही अपने जीवन के मूल्य को जान सकेंगे क्योंकि आदि रत्न अर्थात् प्रभू के रत्न, ईश्वरीय रत्न-तो कितनी वैल्यु हो गई इसलिए सदा अपने को आदि देव के बच्चे मास्टर आदि देव, आदि रत्न समझकर हर कार्य करो तो समर्थ भव का वरदान मिल जायेगा। कुछ भी व्यर्थ जा नहीं सकता।

स्लोगन:-
ज्ञानी तू आत्मा वह है जो धोखा खाने से पहले परखकर स्वयं को बचा ले।

अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो

अभी सेवा में सकाश दे, बुद्धियों को परिवर्तन करने की सेवा एड करो। फिर देखो सफलता आपके सामने स्वयं झुकेगी। सेवा में जो विघ्न आते हैं, उस विघ्नों के पर्दे के अन्दर कल्याण का दृश्य छिपा हुआ है। सिर्फ मन्सा-वाचा की शक्ति से विघ्न का पर्दा हटा दो तो अन्दर कल्याण का दृश्य दिखाई देगा।