11-03-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम बच्चों को सुख-चैन की दुनिया में ले चलने, चैन है ही शान्तिधाम और सुखधाम में''

प्रश्नः-
इस युद्ध के मैदान में माया सबसे पहला वार किस बात पर करती है?

उत्तर:-
निश्चय पर। चलते-चलते निश्चय तोड़ देती है इसलिए हार खा लेते हैं। यदि पक्का निश्चय रहे कि बाप जो सबका दु:ख हरकर सुख देने वाला है, वही हमें श्रीमत दे रहे हैं, आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज सुना रहे हैं, तो कभी माया से हार नहीं हो सकती।

गीत:-
इस पाप की दुनिया से......

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) नष्टोमोहा बन बाप को याद करना है। कुटुम्ब परिवार में रहते विश्व का मालिक बनने लिए मेहनत करनी है। अवगुणों को छोड़ते जाना है।

2) अपनी ऐसी चलन रखनी है जो सब देखकर फालो करें। कोई भी विकार अन्दर न रहे, यह जांच करनी है।

वरदान:-
डबल सेवा द्वारा अलौकिक शक्ति का साक्षात्कार कराने वाले विश्व सेवाधारी भव

जैसे बाप का स्वरूप ही है विश्व सेवक, ऐसे आप भी बाप समान विश्व सेवाधारी हो। शरीर द्वारा स्थूल सेवा करते हुए मन्सा से विश्व परिवर्तन की सेवा पर तत्पर रहो। एक ही समय पर तन और मन से इक्ट्ठी सेवा हो। जो मन्सा और कर्मणा दोनों साथ-साथ सेवा करते हैं, उनसे देखने वालों को अनुभव व साक्षात्कार हो जाता कि यह कोई अलौकिक शक्ति है। इसलिए इस अभ्यास को निरन्तर और नेचुरल बनाओ। मन्सा सेवा के लिए विशेष एकाग्रता का अभ्यास बढ़ाओ।

स्लोगन:-
सर्व प्रति गुणग्राहक बनो लेकिन फालो ब्रह्मा बाप को करो।

अव्यक्त इशारे - सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ

अब स्वच्छता और निर्भयता के आधार से सत्यता द्वारा प्रत्यक्षता करो। मुख से सत्यता की अथॉरिटी स्वत: ही बाप की प्रत्यक्षता करेगी। अभी परमात्म बाम्ब (सत्य ज्ञान) द्वारा धरनी को परिवर्तन करो। इसका सहज साधन है - सदा मुख पर वा संकल्प में निरन्तर माला के समान परमात्म स्मृति हो। सबके अन्दर एक ही धुन हो “मेरा बाबा''। संकल्प, कर्म और वाणी में यही अखण्ड धुन हो, यही अजपाजाप हो। जब यह अजपाजाप हो जायेगा तब और सब बातें स्वत: ही समाप्त हो जायेंगी।