11-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - अब यह नाटक
पूरा होता है, तुम्हें वापिस घर जाना है, इसलिए इस दुनिया से ममत्व मिटा दो, घर को
और नये राज्य को याद करो''
प्रश्नः-
दान का महत्व
कब है, उसका रिटर्न किन बच्चों को प्राप्त होता है?
उत्तर:-
दान का महत्व
तब है जब दान की हुई चीज में ममत्व न हो। अगर दान किया फिर याद आया तो उसका फल
रिटर्न में प्राप्त नहीं हो सकता। दान होता ही है दूसरे जन्म के लिए इसलिए इस जन्म
में तुम्हारे पास जो कुछ है उससे ममत्व मिटा दो। ट्रस्टी होकर सम्भालो। यहाँ तुम जो
ईश्वरीय सेवा में लगाते हो, हॉस्पिटल वा कॉलेज खोलते हो उससे अनेकों का कल्याण होता
है, उसके रिटर्न में 21 जन्मों के लिए मिल जाता है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं के चिंतन और पढ़ाई में मस्त रहना है। दूसरों को नहीं देखना है।
अगर कोई अच्छा नहीं बोलता है तो एक कान से सुन दूसरे से निकाल देना है। रूठ करके
पढ़ाई नहीं छोड़नी है।
2) जीते जी सब कुछ दान करके अपना ममत्व मिटा देना है। पूरा विल कर ट्रस्टी बन
हल्का रहना है। देही-अभिमानी बन सर्व दैवीगुण धारण करने हैं।
वरदान:-
भिन्नता को
मिटाकर एकता लाने वाले सच्चे सेवाधारी भव
ब्राह्मण परिवार की विशेषता
है अनेक होते भी एक। आपकी एकता द्वारा ही सारे विश्व में एक धर्म, एक राज्य की
स्थापना होती है इसलिए विशेष अटेन्शन देकर भिन्नता को मिटाओ और एकता को लाओ तब
कहेंगे सच्चे सेवाधारी। सेवाधारी स्वयं प्रति नहीं लेकिन सेवा प्रति होते हैं। स्वयं
का सब कुछ सेवा प्रति स्वाहा करते हैं, जैसे साकार बाप ने सेवा में हड्डियां भी
स्वाहा की ऐसे आपकी हर कर्मेन्द्रिय द्वारा सेवा होती रहे।
स्लोगन:-
परमात्म प्यार में खो जाओ तो दु:खों की दुनिया भूल जायेगी।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
सदा स्मृति रखो कि
कम्बाइण्ड थे, कम्बाइण्ड हैं और कम्बाइण्ड रहेंगे। कोई की ताकत नहीं जो अनेक बार के
कम्बाइण्ड स्वरूप को अलग कर सके। प्यार की निशानी है कम्बाइण्ड रहना। यह आत्मा और
परमात्मा का साथ है। परमात्मा तो कहाँ भी साथ निभाता है और हर एक से कम्बाइण्ड रूप
से प्रीत की रीति निभाने वाला है।