11-05-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हें अभी अल्लाह मिला है तो सुल्टे बनो अर्थात् अपने आपको आत्मा समझो, देह समझना ही उल्टा बनना है''

प्रश्नः-
किस एक बात को समझने वाले बेहद के वैरागी बन सकते हैं?

उत्तर:-
पुरानी दुनिया अब होपलेस है, कब्रिस्तान बनना है, यह बात समझ ली तो बेहद के वैरागी बन सकते हैं। तुम जानते हो अब नई दुनिया स्थापन हो रही है। इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में सारी पुरानी दुनिया स्वाहा होनी है। यही एक बात तुम्हें बेहद का वैरागी बना देगी। तुम्हारी दिल इस कब्रिस्तान से निकल गई है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप डायरेक्ट आत्माओं से बात करते हैं, ऐसे स्वयं को आत्मा निश्चय करना है। इस कब्रिस्तान से ममत्व निकाल देना है। ऐसे संस्कार धारण करने हैं जो कभी कर्म कूटने न पड़े।

2) जैसे बाप ड्रामा पर अटल होने कारण किसी को भी दोष नहीं देते, गाली देने वाले अपकारियों पर भी उपकार करते, ऐसे बाप समान बनना है। इस ड्रामा में किसी का दोष नहीं, यह एक्यूरेट बना हुआ है।

वरदान:-
हर कदम में वरदाता से वरदान प्राप्त कर मेहनत से मुक्त रहने वाले अधिकारी आत्मा भव

जो हैं ही वरदाता के बच्चे उन्हों को हर कदम में वरदाता से वरदान स्वत: ही मिलते हैं। वरदान ही उनकी पालना है। वरदानों की पालना से ही पलते हैं। बिना मेहनत के इतनी श्रेष्ठ प्राप्तियां होना इसे ही वरदान कहा जाता है। तो जन्म-जन्म प्राप्ति के अधिकारी बन गये। हर कदम में वरदाता का वरदान मिल रहा है और सदा ही मिलता रहेगा। अधिकारी आत्मा के लिए दृष्टि से, बोल से, संबंध से वरदान ही वरदान है।

स्लोगन:-
समय की रफ्तार के प्रमाण पुरुषार्थ की रफ्तार तीव्र करो।