11-11-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपने ऊपर पूरी नज़र रखो, कोई भी बेकायदे चलन नहीं चलना, श्रीमत का उल्लंघन करने से गिर जायेंगे''

प्रश्नः-
पद्मापद्मपति बनने के लिए कौन-सी खबरदारी चाहिए?

उत्तर:-
सदैव ध्यान रहे - जैसा कर्म हम करेंगे हमें देख और भी करने लगेंगे। किसी भी बात का मिथ्या अहंकार न आये। मुरली कभी भी मिस न हो। मन्सा-वाचा-कर्मणा अपनी सम्भाल रखो। यह आंखें धोखा न दें तो पद्मों की कमाई जमा कर सकेंगे। इसके लिए अन्तर्मुखी होकर बाप को याद करो और विकर्मों से बचे रहो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप की आज्ञा अनुसार हर कार्य करना है। कभी भी श्रीमत का उल्लंघन न हो तब ही सर्व मनोकामनायें बिना मांगे पूरी होंगी। ध्यान दीदार की इच्छा नहीं रखनी है, इच्छा मात्रम् अविद्या बनना है।

2) आपस में मिलकर झरमुई झगमुई (एक दूसरे का परचिंतन) नहीं करना है। अन्तर्मुख हो अपनी जांच करनी है कि हम बाबा की याद में कितना समय रहते हैं, ज्ञान का मंथन अन्दर चलता है?

वरदान:-
हर आत्मा के सम्बन्ध सम्पर्क में आते सबको दान देने वाले महादानी, वरदानी भव

सारे दिन में जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसे कोई न कोई शक्ति का, ज्ञान का, गुण का दान दो। आपके पास ज्ञान का भी खजाना है, तो शक्तियों और गुणों का भी खजाना है। तो कोई भी दिन बिना दान दिये खाली न जाए तब कहेंगे महादानी। 2- दान शब्द का रूहानी अर्थ है सहयोग देना। तो अपनी श्रेष्ठ स्थिति के वायुमण्डल द्वारा और अपनी वृत्ति के वायब्रेशन्स द्वारा हर आत्मा को सहयोग दो तब कहेंगे वरदानी।

स्लोगन:-
जो बापदादा और परिवार के समीप हैं उनके चेहरे पर सन्तुष्टता, रूहानियत और प्रसन्नता की मुस्कराहट रहती है।