11-12-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप का मददगार बन इस आइरन एजड पहाड़ को गोल्डन एजड बनाना है, पुरूषार्थ कर नई दुनिया के लिए फर्स्टक्लास सीट रिजर्व करानी है''

प्रश्नः-
बाप की फर्ज़-अदाई क्या है? कौन-सा फ़र्ज पूरा करने के लिए संगम पर बाप को आना पड़ता है?

उत्तर:-
बीमार और दु:खी बच्चों को सुखी बनाना, माया के फँदे से निकाल घनेरे सुख देना - यह बाप की फर्ज-अदाई है, जो संगम पर ही बाप पूरी करते हैं। बाबा कहते - मैं आया हूँ तुम सबका मर्ज मिटाने, सब पर कृपा करने। अब पुरूषार्थ कर 21 जन्मों के लिए अपनी ऊंची तकदीर बना लो।

गीत:-
भोलेनाथ से निराला.....

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं को ब्रह्मा मुख वंशावली समझकर पक्का पवित्र ब्राह्मण बनना है। कभी अपने इस ब्राह्मण कुल को कलंकित नहीं करना है।

2) बाप समान निराकारी, निरहंकारी बन अपनी फ़र्ज-अदाई पूरी करनी है। रूहानी सेवा पर तत्पर रहना है।

वरदान:-
स्नेह की शक्ति से माया की शक्ति को समाप्त करने वाले सम्पूर्ण ज्ञानी भव

स्नेह में समाना ही सम्पूर्ण ज्ञान है। स्नेह ब्राह्मण जन्म का वरदान है। संगमयुग पर स्नेह का सागर स्नेह के हीरे मोतियों की थालियां भरकर दे रहे हैं, तो स्नेह में सम्पन्न बनो। स्नेह की शक्ति से परिस्थिति रूपी पहाड़ परिवर्तन हो पानी समान हल्का बन जायेगा। माया का कैसा भी विकराल रूप वा रॉयल रूप सामना करे तो सेकण्ड में स्नेह के सागर में समा जाओ। तो स्नेह की शक्ति से माया की शक्ति समाप्त हो जायेगी।

स्लोगन:-
तन-मन-धन, मन-वाणी और कर्म से बाप के कर्तव्य में सदा सहयोगी ही योगी हैं।