12-03-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप अभी
तुम्हारी पालना कर रहे हैं, पढ़ा रहे हैं, घर बैठे राय दे रहे हैं, तो कदम-कदम पर
राय लेते रहो तब ऊंच पद मिलेगा''
प्रश्नः-
सजाओं से छूटने
के लिए कौन-सा पुरूषार्थ बहुत समय का चाहिए?
उत्तर:-
नष्टोमोहा बनने
का। किसी में भी ममत्व न हो। अपने दिल से पूछना है - हमारा किसी में मोह तो नहीं
है? कोई भी पुराना सम्बन्ध अन्त में याद न आये। योगबल से सब हिसाब-किताब चुक्तू करने
हैं तब ही बिगर सजा ऊंच पद मिलेगा।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बिगर कोई फिक्र (चिंता) के अपनी गुप्त राजधानी श्रीमत पर स्थापन करनी
है। विघ्नों की परवाह नहीं करनी है। बुद्धि में रहे कल्प पहले जिन्होंने मदद की है
वह अभी भी अवश्य करेंगे, फिक्र की बात नहीं।
2) सदा खुशी रहे कि अभी हमारी वानप्रस्थ अवस्था है, हम वापस घर जा रहे हैं।
आत्म-अभिमानी बनने की बहुत गुप्त मेहनत करनी है। कोई भी विकर्म नहीं करना है।
वरदान:-
किसी भी
विकराल समस्या को शीतल बनाने वाले सम्पूर्ण निश्चयबुद्धि भव
जैसे बाप में निश्चय है
वैसे स्वयं में और ड्रामा में भी सम्पूर्ण निश्चय हो। स्वयं में यदि कमजोरी का
संकल्प उत्पन्न होता है तो कमजोरी के संस्कार बन जाते हैं, इसलिए व्यर्थ संकल्प रूपी
कमजोरी के जर्म्स अपने अन्दर प्रवेश होने नहीं देना। साथ-साथ जो भी ड्रामा की सीन
देखते हो, हलचल की सीन में भी कल्याण का अनुभव हो, वातावरण हिलाने वाला हो, समस्या
विकराल हो लेकिन सदा निश्चयबद्धि विजयी बनो तो विकराल समस्या भी शीतल हो जायेगी।
स्लोगन:-
जिसका
बाप और सेवा से प्यार है उसे परिवार का प्यार स्वत:मिलता है।
अव्यक्त इशारे -
सत्यता और सभ्यता रूपी क्लचर को अपनाओ
जैसे परमात्मा एक
है यह सभी भिन्न-भिन्न धर्म वालों की मान्यता है। ऐसे यथार्थ सत्य ज्ञान एक ही बाप
का है अथवा एक ही रास्ता है, यह आवाज जब बुलन्द हो तब आत्माओं का अनेक तिनकों के
सहारे तरफ भटकना बन्द हो। अभी यही समझते हैं कि यह भी एक रास्ता है। अच्छा रास्ता
है। लेकिन आखिर भी एक बाप का एक ही परिचय, एक ही रास्ता है। यह सत्यता के परिचय की
वा सत्य ज्ञान के शक्ति की लहर फैलाओ तब प्रत्यक्षता के झण्डे के नीचे सर्व आत्मायें
सहारा ले सकेंगी।