12-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप उस रथ में आते हैं, जिसने पहले-पहले भक्ति शुरू की, जो नम्बरवन पूज्य था फिर पुजारी बना है, यह राज़ सबको स्पष्ट करके सुनाओ''

प्रश्नः-
बाप अपने वारिस बच्चों को कौन-सा वर्सा देने आये हैं?

उत्तर:-
बाप सुख, शान्ति, प्रेम का सागर है। यही सारा खजाना वह तुम्हें विल करते हैं। ऐसा विल कर देते जो 21 जन्म तक तुम खाते रहो, खुट नहीं सकता। तुम्हें कौड़ी से हीरे जैसा बना देते हैं। तुम बाप का सारा खजाना योगबल से लेते हो। योग के बिना खजाना नहीं मिल सकता है।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ऊंच पद पाने के लिए पूरा फालो फादर करना है। सब कुछ बाप के हवाले कर ट्रस्टी हो सम्भालना है, पूरा वारी जाना है। खानपान, रहन-सहन बीच का साधारण रखना है। न बहुत ऊंच, न बहुत नींच।

2) बाप ने जो सुख-शान्ति, ज्ञान का खजाना विल किया है, उसे दूसरों को भी देना है, कल्याणकारी बनना है।

वरदान:-
पवित्रता की गुह्यता को जान सुख-शान्ति सम्पन्न बनने वाली महान आत्मा भव

पवित्रता के शक्ति की महानता को जान पवित्र अर्थात् पूज्य देव आत्मायें अभी से बनो। ऐसे नहीं कि अन्त में बन जायेंगे। यह बहुत समय की जमा की हुई शक्ति अन्त में काम आयेगी। पवित्र बनना कोई साधारण बात नहीं है। ब्रह्मचारी रहते हैं, पवित्र बन गये हैं... लेकिन पवित्रता जननी है, चाहे संकल्प से, चाहे वृत्ति से, वायुमण्डल से, वाणी से, सम्पर्क से सुख-शान्ति की जननी बनना - इसको कहते हैं महान आत्मा।

स्लोगन:-
ऊंची स्थिति में स्थित हो सर्व आत्माओं को रहम की दृष्टि दो, वायब्रेशन फैलाओ।