12-07-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हें सच्चा-सच्चा वैष्णव बनना है, सच्चे वैष्णव भोजन की परहेज के साथ-साथ पवित्र भी रहते हैं''

प्रश्नः-
कौन-सा अवगुण गुण में परिवर्तन हो जाए तो बेडा पार हो सकता है?

उत्तर:-
सबसे बड़ा अवगुण है मोह। मोह के कारण सम्बन्धियों की याद सताती रहती है। किसी का कोई सम्बन्धी मरता है तो 12 मास तक उसे याद करते रहते हैं। मुँह ढक कर रोते रहेंगे, याद आती रहेगी। ऐसे ही अगर बाप की याद सताये, दिन-रात तुम बाप को याद करो तो तुम्हारा बेडा पार हो जायेगा। जैसे लौकिक सम्बन्धी को याद करते ऐसे बाप को याद करो तो अहो सौभाग्य...।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप अपकारी पर भी उपकार करते हैं, ऐसे फालो फादर करना है। कोई कुछ बोले तो सुना अनसुना कर देना है, मुस्कराते रहना है। एक बाप से ही सुनना है।

2) सुखदाई बन सबको सुख देना है, आपस में लड़ना-झगड़ना नहीं है। समझदार बन अपनी झोली अविनाशी ज्ञान रत्नों से भरपूर करनी है।

वरदान:-
सागर के तले में जाकर अनुभव रूपी रत्न प्राप्त करने वाले सदा समर्थ आत्मा भव

समर्थ आत्मा बनने के लिए योग की हर विशेषता का, हर शक्ति का और हर एक ज्ञान की मुख्य प्वाइंट का अभ्यास करो। अभ्यासी, लगन में मगन रहने वाली आत्मा के सामने किसी भी प्रकार का विघ्न ठहर नहीं सकता इसलिए अभ्यास की प्रयोगशाला में बैठ जाओ। अभी तक ज्ञान के सागर, गुणों के सागर, शक्तियों के सागर में ऊपर-ऊपर की लहरों में लहराते हो, लेकिन अब सागर के तले में जाओ तो अनेक प्रकार के विचित्र अनुभव के रत्न प्राप्त कर समर्थ आत्मा बन जायेंगे।

स्लोगन:-
अशुद्धि ही विकार रूपी भूतों का आह्वान करती है इसलिए संकल्पों से भी शुद्ध बनो।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

जैसे ब्रह्मा बाप ने विशेष श्रेष्ठ संकल्प से बच्चों का आह्वान किया अर्थात् रचना रची। यह संकल्प की रचना भी कम नहीं है। श्रेष्ठ शक्तिशाली संकल्प ने प्रेर कर भिन्न-भिन्न धर्मो के पर्दो से निकालकर समीप लाया। ऐसे आप बच्चे भी शक्तिशाली श्रेष्ठ संकल्पधारी बनो। अपने संकल्पों की शक्ति को ज्यादा खर्च नहीं करो, व्यर्थ नहीं गंवाओ। तो श्रेष्ठ संकल्प से प्राप्ति भी श्रेष्ठ होगी।