12-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति 17.03.2007 "बापदादा" मधुबन
“श्रेष्ठ वृत्ति से
शक्तिशाली वायब्रेशन और वायुमण्डल बनाने का तीव्र पुरुषार्थ करो, दुआ दो और दुआ
लो''
वरदान:-
विशाल बुद्धि
द्वारा संगठन की शक्ति को बढ़ाने वाले सफलता स्वरूप भव
संगठन की शक्ति को
बढ़ाना - यह ब्राह्मण जीवन का पहला श्रेष्ठ कार्य है। इसके लिए जब कोई भी बात
मैजारटी वेरीफाय करते हैं, तो जहाँ मैजारटी वहाँ मैं - यही है संगठन की शक्ति को
बढ़ाना। इसमें यह बड़ाई नहीं दिखाओ कि मेरा विचार तो बहुत अच्छा है। भल कितना भी
अच्छा हो लेकिन जहाँ संगठन टूटता है वह अच्छा भी साधारण हो जायेगा। उस समय अपने
विचार त्यागने भी पड़े तो त्याग में ही भाग्य है। इससे ही सफलता स्वरूप बनेंगे।
समीप संबंध में आयेंगे।
स्लोगन:-
सर्व सिद्धियां प्राप्त करने के लिए मन की एकाग्रता को बढ़ाओ।
अव्यक्त इशारे - स्वयं
और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
समय प्रमाण अब मन्सा
और वाचा की इकट्ठी सेवा करो। लेकिन वाचा सेवा सहज है, मन्सा में अटेन्शन देने की
बात है इसलिए सर्व आत्माओं के प्रति मन्सा में शुभ भावना, शुभ कामना के संकल्प हों।
बोल में मधुरता, सन्तुष्टता, सरलता की नवीनता हो तो सेवा में सहज सफलता मिलती रहेगी।