12-12-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - यह पढ़ाई जो बाप पढ़ाते हैं, इसमें अथाह कमाई है, इसलिए पढ़ाई अच्छी रीति पढ़ते रहो, लिंक कभी न टूटे''

प्रश्नः-
जो विनाशकाले विपरीत बुद्धि हैं, उन्हें तुम्हारी किस बात पर हँसी आती है?

उत्तर:-
तुम जब कहते हो अभी विनाश काल नज़दीक है, तो उन्हें हँसी आती है। तुम जानते हो बाप यहाँ बैठे तो नहीं रहेंगे, बाप की ड्युटी है पावन बनाना। जब पावन बन जायेंगे तो यह पुरानी दुनिया विनाश होगी, नई आयेगी। यह लड़ाई है ही विनाश के लिए। तुम देवता बनते हो तो इस कलियुगी छी-छी सृष्टि पर आ नहीं सकते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं में ज्ञान रत्न धारण कर रूप-बसन्त बनना है। ज्ञान रत्नों से विश्व के बादशाही की लॉटरी लेनी है।

2) इस विनाश काल में बाप से प्रीत रख एक की ही याद में रहना है। ऐसा कोई कर्म नहीं करना है जो अन्त समय में पछताना पड़े या नसीब कूटना पड़े।

वरदान:-
सदा स्नेही बन उड़ती कला का वरदान प्राप्त करने वाले निश्चित विजयी, निश्चिंत भव

स्नेही बच्चों को बापदादा द्वारा उड़ती कला का वरदान मिल जाता है। उड़ती कला द्वारा सेकण्ड में बापदादा के पास पहुंच जाओ तो कैसे भी स्वरूप में आई हुई माया आपको छू नहीं सकेगी। परमात्म छत्रछाया के अन्दर माया की छाया भी नहीं आ सकती। स्नेह, मेहनत को मनोरंजन में परिवर्तन कर देता है। स्नेह हर कर्म में निश्चित विजयी स्थिति का अनुभव कराता है, स्नेही बच्चे हर समय निश्चिंत रहते हैं।

स्लोगन:-
नथिंग न्यू की स्मृति से सदा अचल रहो तो खुशी में नाचते रहेंगे।