13-05-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम यहाँ
मनुष्य से देवता बनने की ट्यूशन लेने आये हो, कौड़ी से हीरा बन रहे हो''
प्रश्नः-
तुम बच्चों को
इस पढ़ाई में कोई भी खर्चा नहीं लगता है - क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि
तुम्हारा बाप ही टीचर है। बाप बच्चों से खर्चा (फी) कैसे लेगा। बाप का बच्चा बनें,
गोद में आये तो वर्से के हकदार बनें। तुम बच्चे बिना खर्चे कौड़ी से हीरे जैसा देवता
बनते हो। भक्ति में तीर्थ करेंगे, दान-पुण्य करेंगे तो खर्चा ही खर्चा। यहाँ तो बाप
बच्चों को राजाई देते हैं। सारा वर्सा मुफ्त में देते हैं। पावन बनो और वर्सा लो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) स्वयं को गरीब से साहूकार बनाने के लिए बाप से अविनाशी ज्ञान रत्न
लेने हैं, यह एक-एक रत्न लाखों रूपयों का है, इनकी वैल्यु जानकर पढ़ाई पढ़नी है। यह
पढ़ाई ही सोर्स ऑफ इनकम है, इसी से ऊंच पद पाना है।
2) राम सम्प्रदाय में आने के लिए सम्पूर्ण पवित्र जो एक बाप है, उसका ही संग करना
है। कुसंग से सदा दूर रहना है। सबसे बुद्धियोग हटाकर एक बाप में लगाना है।
वरदान:-
शक्तिशाली याद
द्वारा सेकण्ड में पदमों की कमाई जमा करने वाले पदमापदम भाग्यशाली भव
आपकी याद इतनी शक्तिशाली
हो जो एक सेकण्ड की याद से पदमों की कमाई जमा हो जाए। जिनके हर कदम में पदम हों तो
कितने पदम जमा हो जायेंगे इसीलिए कहा जाता है पदमापदम भाग्यशाली। जब किसी की अच्छी
कमाई होती है तो उसके चेहरे की फलक ही और हो जाती है। तो आपकी शक्ल से भी पदमों की
कमाई का नशा दिखाई दे। ऐसा रूहानी नशा, रूहानी खुशी हो जो अनुभव करें कि यह न्यारे
लोग हैं।
स्लोगन:-
ड्रामा
में सब अच्छा ही होना है इस स्मृति से बेफिक्र बादशाह बनो।