13-06-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - पहले हर एक
को यह मंत्र कूट-कूट कर पक्का कराओ कि तुम आत्मा हो, तुम्हें बाप को याद करना है,
याद से ही पाप कटेंगे''
प्रश्नः-
सच्ची सेवा
क्या है, जो तुम अभी कर रहे हो?
उत्तर:-
भारत जो पतित
बन गया है, उसे पावन बनाना - यही सच्ची सेवा है। लोग पूछते हैं तुम भारत की क्या
सेवा करते हो? तुम उन्हें बताओ कि हम श्रीमत पर भारत की वह रूहानी सेवा करते हैं
जिससे भारत डबल सिरताज बनें। भारत में जो पीस प्रासपर्टी थी, उसकी हम स्थापना कर रहे
हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए अन्दर बाबा-बाबा की उछल आती रहे।
हठ से नहीं, रुचि से बाप को चलते-फिरते याद करो। बुद्धि सब तरफ से हटाकर एक में
लगाओ।
2) जैसे बाप प्यार का सागर है, ऐसे बाप समान प्यार का सागर बनना है। सब पर उपकार
करना है। बाप की याद में रहना और सबको बाप की याद दिलाना है।
वरदान:-
शान्ति की
शक्ति के साधनों द्वारा विश्व को शान्त बनाने वाले रूहानी शस्त्रधारी भव
शान्ति की शक्ति का साधन
है शुभ संकल्प, शुभ भावना और नयनों की भाषा है। जैसे मुख की भाषा द्वारा बाप का वा
रचना का परिचय देते हो, ऐसे शान्ति की शक्ति के आधार पर नयनों की भाषा से नयनों
द्वारा बाप का अनुभव करा सकते हो। स्थूल सेवा के साधनों से ज्यादा साइलेन्स की शक्ति
अति श्रेष्ठ है। रूहानी सेना का यही विशेष शस्त्र है - इस शस्त्र द्वारा अशान्त
विश्व को शान्त बना सकते हो।
स्लोगन:-
निर्विघ्न रहना और निर्विघ्न बनाना - यही सच्ची सेवा का सबूत है।