13-07-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - रक्षाबन्धन
का पर्व प्रतिज्ञा का पर्व है, जो संगमयुग से ही शुरू होता है, अभी तुम पवित्र बनने
और बनाने की प्रतिज्ञा करते हो''
प्रश्नः-
तुम्हारे सब
कार्य किस आधार पर सफल हो सकते हैं? नाम बाला कैसे होगा?
उत्तर:-
ज्ञान बल के
साथ योग का भी बल हो तो सब कार्य आपेही करने के लिए तैयार हो जायें। योग बहुत गुप्त
है इससे तुम विश्व का मालिक बनते हो। योग में रहकर समझाओ तो अखबार वाले आपेही
तुम्हारा सन्देश छापेंगे। अखबारों से ही नाम बाला होना है, इनसे ही बहुतों को
सन्देश मिलेगा।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) पास विद् ऑनर होने के लिए बाप समान ज्ञान सागर बनना है। कोई भी अवगुण
अन्दर है तो उसकी जांच कर निकाल देना है। शरीर को देखते हुए न देख, आत्मा निश्चय कर
आत्मा से बात करनी है।
2) योगबल इतना जमा करना है जो अपना हर काम सहज हो जाए। अखबारों द्वारा हरेक को
पावन बनने का सन्देश देना है। आप समान बनाने की सेवा करनी है।
वरदान:-
देह-भान को
देही-अभिमानी स्थिति में परिवर्तन करने वाले बेहद के वैरागी भव
चलते-चलते यदि वैराग्य
खण्डित होता है तो उसका मुख्य कारण है - देह-भान। जब तक देह-भान का वैराग्य नहीं है
तब तक कोई भी बात का वैराग्य सदाकाल नहीं रह सकता। सम्बन्ध से वैराग्य - यह कोई बड़ी
बात नहीं है, वह तो दुनिया में भी कईयों को वैराग्य आ जाता है लेकिन यहाँ देह-भान
के जो भिन्न-भिन्न रूप हैं, उन्हें जानकर, देह-भान को देही-अभिमानी स्थिति में
परिवर्तन कर देना - यह विधि है बेहद के वैरागी बनने की।
स्लोगन:-
संकल्प
रूपी पांव मजबूत हों तो काले बादलों जैसी बातें भी परिवर्तन हो जायेंगी।