13-09-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - सबसे पहले-पहले यही ख्याल करो कि मुझ आत्मा पर जो कट चढ़ी हुई है, वह कैसे उतरे, सुई पर जब तक कट (जंक) होगी तब तक चुम्बक खींच नहीं सकता''

प्रश्नः-
पुरुषोत्तम संगमयुग पर तुम्हें पुरुषोत्तम बनने के लिए कौन-सा पुरुषार्थ करना है?

उत्तर:-
कर्मातीत बनने का। कोई भी कर्म सम्बन्धों की तरफ बुद्धि न जाए अर्थात् कर्मबन्धन अपने तरफ न खींचे। सारा कनेक्शन एक बाप से रहे। कोई से भी दिल लगी हुई न हो। ऐसा पुरुषार्थ करो, झरमुई झगमुई में अपना टाइम वेस्ट मत करो। याद में रहने का अभ्यास करो।

गीत:-
जाग सजनियाँ जाग........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जैसे बाप टीचर रूप में पढ़ाकर सब पर रहम करते हैं, ऐसे अपने आप पर और औरों पर भी रहम करना है। पढ़ाई और श्रीमत पर पूरा ध्यान देना है, अपने कैरेक्टर सुधारने हैं।

2) आपस में कोई पुरानी सड़ी हुई परचिंतन की बातें करके बाप से बुद्धियोग नहीं तुड़ाना है। कोई भी पाप कर्म नहीं करना है, याद में रहकर जंक उतारनी है।

वरदान:-
दृढ़ता द्वारा कलराठी जमीन में भी फल पैदा करने वाले सफलता स्वरूप भव

कोई भी बात में सफलता स्वरूप बनने के लिए दृढ़ता और स्नेह का संगठन चाहिए। यह दृढ़ता कलराठी जमीन में भी फल पैदा कर देती है। जैसे आजकल साइन्स वाले रेत में भी फल पैदा करने का प्रयत्न कर रहे हैं ऐसे आप साइलेन्स की शक्ति द्वारा स्नेह का पानी देते हुए फलीभूत बनो। दृढ़ता द्वारा नाउम्मींद में भी उम्मीदों का दीपक जगा सकते हो क्योंकि हिम्मत से बाप की मदद मिल जाती है।

स्लोगन:-
अपने को सदा प्रभू की अमानत समझकर चलो तो कर्म में रूहानियत आयेगी।

अव्यक्त इशारे - अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ

सारथी अर्थात् आत्म-अभिमानी क्योंकि आत्मा ही सारथी है। ब्रह्मा बाप ने इस विधि से नम्बरवन की सिद्धि प्राप्त की, तो फॉलो फॉदर करो। जैसे बाप देह को अधीन कर प्रवेश होते अर्थात् सारथी बनते हैं देह के अधीन नहीं होते, इसलिए न्यारे और प्यारे हैं। ऐसे ही आप सभी ब्राह्मण आत्माएं भी बाप समान सारथी की स्थिति में रहो। सारथी स्वत: ही साक्षी हो कुछ भी करेंगे, देखेंगे, सुनेंगे और सब-कुछ करते भी माया की लेप-छेप से निर्लेप रहेंगे।