13-10-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठेबच्चे - तुम्हें देवता बनना है इसलिए माया के अवगुणों का त्याग करो, गुस्सा करना, मारना, तंग करना, बुरा काम करना, चोरी-चकारी करना यह सब महापाप है''

प्रश्नः-
इस ज्ञान में कौन-से बच्चे तीखे जा सकते हैं? घाटा किन्हें पड़ता है?

उत्तर:-
जिन्हें अपना पोतामेल रखना आता है वह इस ज्ञान में बहुत तीखे जा सकते हैं। घाटा उनको पड़ता है जो देही-अभिमानी नहीं रहते। बाबा कहते व्यापारी लोगों को पोतामेल निकालने की आदत होती है, वह यहाँ भी तीखे जा सकते हैं।

गीत:-
मुखड़ा देख ले प्राणी........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर में अपनी जांच कर दैवीगुण धारण करने हैं। खराब आदतों को निकालना है। प्रतिज्ञा करनी है - बाबा हम कभी भी बुरा काम नहीं करेंगे।

2) कर्मातीत अवस्था को प्राप्त करने के लिए याद की रेस करनी है। रूहानी सेवा में तत्पर रहना है। बड़ों का रिगार्ड रखना है।

वरदान:-
फालो फादर के पाठ द्वारा मुश्किल को सहज बनाने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव

मुश्किल को सहज बनाने वा लास्ट पुरुषार्थ में सफलता प्राप्त करने के लिए पहला पाठ है “फालो फादर'' यह पहला पाठ ही लास्ट स्टेज को समीप लाने वाला है। इस पाठ से अभुल, एकरस और तीव्र पुरुषार्थी बन जायेंगे क्योंकि किसी भी बात में मुश्किल तब लगता है जब फालो करने के बजाए अपनी बुद्धि चलाते हो। इससे अपने ही संकल्प के जाल में फंस जाते हो फिर समय भी लगता है और शक्ति भी लगती है। अगर फालो करते जाओ तो समय और शक्ति दोनों बच जायेंगी, जमा हो जायेंगी।

स्लोगन:-
सच्चाई, सफाई को धारण करने के लिए अपने स्वभाव को सरल बनाओ।

अव्यक्त इशारे - स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो

जितना स्वयं को मन्सा सेवा में बिज़ी रखेंगे उतना सहज मायाजीत बन जायेंगे। सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं बनो लेकिन औरों को भी शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करने की सेवा करो। भावना और ज्ञान, स्नेह और योग दोनों का बैलेन्स हो। कल्याणकारी तो बने हो अब बेहद विश्व कल्याणकारी बनो।