13-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - सभी को
पहले-पहले अल्फ का पाठ पक्का कराओ, आप आत्मा भाई-भाई हैं''
प्रश्नः-
किस एक बात
में श्रीमत, मनुष्य मत के बिल्कुल ही विपरीत है?
उत्तर:-
मनुष्य मत कहती
है हम मोक्ष में चले जायेंगे। श्रीमत कहती हैं यह ड्रामा अनादि अविनाशी है। मोक्ष
किसी को मिल नहीं सकता। भल कोई कहे यह पार्ट बजाना हमको पसन्द नहीं। परन्तु इसमें
कुछ भी कर नहीं सकते। पार्ट बजाने आना ही है। श्रीमत ही तुम्हें श्रेष्ठ बनाती है।
मनुष्य मत तो अनेक प्रकार की है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि में सदा याद रहे कि अभी हम थोड़े समय के लिए संगमयुग में बैठे
हैं, पुरानी दुनिया विनाश होगी तो हम नई दुनिया में ट्रान्सफर हो जायेंगे इसलिए इससे
बुद्धियोग निकाल देना है।
2) सभी आत्माओं को बाप का परिचय दे कर्म, अकर्म, विकर्म की गुह्य गति सुनानी है,
पहले अल्फ का ही पाठ पक्का कराना है।
वरदान:-
श्रेष्ठ
प्राप्तियों के प्रत्यक्षफल द्वारा सदा खुशहाल रहने वाले एवरहेल्दी भव
संगमयुग पर अभी-अभी किया
और अभी-अभी श्रेष्ठ प्राप्ति की अनुभति हुई - यही है प्रत्यक्षफल। सबसे श्रेष्ठ फल
है समीपता का अनुभव होना। आजकल साकार दुनिया में कहते हैं कि फल खाओ तो तन्दरूस्त
रहेंगे। हेल्दी रहने का साधन फल बताते हैं और आप बच्चे हर सेकण्ड प्रत्यक्षफल खाते
ही रहते हो इसलिए एवरहेल्दी हो ही। यदि आपसे कोई पूछे कि आपका क्या हालचाल है, तो
बोलो कि फरिश्तों की चाल है और खुशहाल है।
स्लोगन:-
सर्व
की दुआओं के खजाने से सम्पन्न बनो तो पुरुषार्थ में मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।