13-12-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अपने लक्ष्य और लक्ष्य-दाता बाप को याद करो तो दैवीगुण आ जायेंगे, किसी को दु:ख देना, ग्लानि करना, यह सब आसुरी लक्षण हैं''

प्रश्नः-
बाप का तुम बच्चों से बहुत ऊंचा प्यार है, उसकी निशानी क्या है?

उत्तर:-
बाप की जो मीठी-मीठी शिक्षायें मिलती हैं, यह शिक्षायें देना ही उनके ऊंचे प्यार की निशानी है। बाप की पहली शिक्षा है - मीठे बच्चे, श्रीमत के बिगर कोई उल्टा-सुल्टा काम नहीं करना, 2. तुम स्टूडेन्ट हो तुम्हें अपने हाथ में कभी भी लॉ नहीं उठाना है। तुम अपने मुख से सदैव रत्न निकालो, पत्थर नहीं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कोई भी बेकायदे, श्रीमत के विरूद्ध चलन नहीं चलनी है। स्वयं को स्वयं ही सुधारना है। छी-छी गन्दे मनुष्यों से अपनी सम्भाल करनी है।

2) बन्धनमुक्त हैं तो पूरा-पूरा बलिहार जाना है। अपना ममत्व निकाल देना है। कभी भी किसी की निंदा वा परचिंतन नहीं करना है। गन्दे खराब ख्यालातों से स्वयं को मुक्त रखना है।

वरदान:-
समर्थ स्थिति का स्विच आन कर व्यर्थ के अंधकार को समाप्त करने वाले अव्यक्त फरिश्ता भव

जैसे स्थूल लाइट का स्विच आन करने से अंधकार समाप्त हो जाता है। ऐसे समर्थ स्थिति है स्विच। इस स्विच को आन करो तो व्यर्थ का अंधकार समाप्त हो जायेगा। एक-एक व्यर्थ संकल्प को समाप्त करने की मेहनत से छूट जायेंगे। जब स्थिति समर्थ होगी तो महादानी-वरदानी बन जायेंगे क्योंकि दाता का अर्थ ही है समर्थ। समर्थ ही दे सकता है और जहाँ समर्थ है वहाँ व्यर्थ खत्म हो जाता है। तो यही अव्यक्त फरिश्तों का श्रेष्ठ कार्य है।

स्लोगन:-
सत्यता के आधार से सर्व आत्माओं के दिल की दुआयें प्राप्त करने वाले ही भाग्यवान आत्मा है।