13-12-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम्हारी यह
ईश्वरीय मिशन है, तुम सबको ईश्वर का बनाकर उन्हें बेहद का वर्सा दिलाते हो''
प्रश्नः-
कर्मेन्द्रियों
की चंचलता समाप्त कब होगी?
उत्तर:-
जब तुम्हारी
स्थिति सिल्वर एज़ तक पहुँचेगी अर्थात् जब आत्मा त्रेता की सतो स्टेज तक पहुँच
जायेगी तो कर्मेन्द्रियों की चंचलता बंद हो जायेगी। अभी तुम्हारी रिटर्न जरनी है
इसलिए कर्मेन्द्रियों को वश में रखना है। कोई भी छिपाकर ऐसा कर्म नहीं करना जो आत्मा
पतित बन जाए। अविनाशी सर्जन तुम्हें जो परहेज बता रहे हैं, उस पर चलते रहो।
गीत:-
मुखड़ा देख ले
प्राणी........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) एक बाप से ही सुनना है। एक की ही अव्यभिचारी याद में रहना है। इस
शरीर की सम्भाल रखनी है, लेकिन ममत्व नहीं रखना है।
2) बाप ने जो परहेज बताई है उसे पूरा पालन करना है। कोई भी ऐसा कर्म नहीं करना
है जो बाप की ग्लानि हो, पाप का खाता बनें। अपने को घाटे में नहीं डालना है।
वरदान:-
तीन सेवाओं के
बैलेन्स द्वारा सर्व गुणों की अनुभूति करने वाले गुणमूर्त भव
जो बच्चे संकल्प, बोल और
हर कर्म द्वारा सेवा पर तत्पर रहते हैं वही सफलतामूर्त बनते हैं। तीनों में मार्क्स
समान हैं, सारे दिन में तीनों सेवाओं का बैलेन्स है तो पास विद आनर वा गुणमूर्त बन
जाते हैं। उनके द्वारा सर्व दिव्य गुणों का श्रृंगार स्पष्ट दिखाई देता है। एक दूसरे
को बाप के गुणों का वा स्वयं की धारणा के गुणों का सहयोग देना ही गुणमूर्त बनना है
क्योंकि गुणदान सबसे बड़ा दान है।
स्लोगन:-
निश्चय
रूपी फाउण्डेशन पक्का है तो श्रेष्ठ जीवन का अनुभव स्वत: होता है।
अव्यक्त इशारे -
अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ
पिछले कर्मों के
हिसाब-किताब के फलस्वरूप तन का रोग हो, मन के संस्कार अन्य आत्माओं के संस्कारों से
टक्कर भी खाते हों लेकिन कर्मातीत, कर्मभोग के वश न होकर मालिक बन हिसाब चुक्तू
करावे। कर्मयोगी बन कर्मभोग चुक्तू करना - यह है कर्मातीत स्थिति की निशानी।
प्रैक्टिस करो अभी-अभी कर्मयोगी, अभी-अभी कर्मातीत स्टेज।