14-05-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - आत्म-अभिमानी
बनो, मैं आत्मा हूँ शरीर नहीं, यह है पहला पाठ, यही पाठ सबको अच्छी तरह पढ़ाओ''
प्रश्नः-
ज्ञान सुनाने
का तरीका क्या है? किस विधि से ज्ञान सुनाना है?
उत्तर:-
ज्ञान की बातें
बड़ी खुशी-खुशी से सुनाओ, लाचारी से नहीं। तुम आपस में बैठकर ज्ञान की चर्चा करो,
ज्ञान का मनन-चिंतन करो फिर किसी को सुनाओ। अपने को आत्मा समझकर फिर आत्मा को
सुनायेंगे तो सुनने वाले को भी खुशी होगी।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान को अन्दर घोटना है अर्थात् विचार सागर मंथन करना है। ज्ञान की
आपस में रूहरिहान कर फिर दूसरों को समझाना है। सुस्ती वा आलस्य को छोड़ देना है।
2) देही-अभिमानी बन बड़े हुल्लास से बाप को याद करना है। सदा इसी नशे में रहना
है कि हम बाप के पास आये हैं कौड़ी से हीरा बनने। हम हैं ईश्वरीय सन्तान।
वरदान:-
ज्ञान सूर्य,
ज्ञान चन्द्रमा के साथ साथी बन रात को दिन बनाने वाले रूहानी ज्ञान सितारे भव
जैसे वह सितारे रात में
प्रगट होते हैं ऐसे आप रूहानी ज्ञान सितारे, चमकते हुए सितारे भी ब्रह्मा की रात
में प्रगट होते हो। वह सितारे रात को दिन नहीं बनाते लेकिन आप ज्ञान सूर्य, ज्ञान
चन्द्रमा के साथ साथी बन रात को दिन बनाते हो। वह आकाश के सितारे हैं आप धरती के
सितारे हो, वह प्रकृति की सत्ता है आप परमात्म सितारे हो। जैसे प्रकृति के
तारामण्डल में अनेक प्रकार के सितारे चमकते हुए दिखाई देते हैं ऐसे आप परमात्म
तारामण्डल में चमकते हुए रूहानी सितारे हो।
स्लोगन:-
सेवा
का चांस मिलना अर्थात् दुआओं से झोली भरना।