14-09-2025     प्रात:मुरली  ओम् शान्ति 18.01.2007 "बापदादा"    मधुबन


“अब स्वयं को मुक्त कर मास्टर मुक्तिदाता बन सबको मुक्ति दिलाने के निमित्त बनो''


वरदान:-
लाइन क्लीयर के आधार पर नम्बरवन पास होने वाले एवररेडी भव

सदा एवररेडी रहना - यह ब्राह्मण जीवन की विशेषता है। अपनी बुद्धि की लाइन ऐसी क्लीयर हो जो बाप का कोई भी इशारा मिला - एवररेडी। उस समय कुछ भी सोचने की जरूरत न हो। अचानक एक ही क्वेश्चन आयेगा - आर्डर होगा - यहाँ ही बैठ जाओ, यहाँ पहुंच जाओ तो कोई भी बात या संबंध याद न आये तब नम्बरवन पास हो सकेंगे। लेकिन यह सब अचानक का पेपर होगा - इसलिए एवररेडी बनो।

स्लोगन:-
मन को शक्तिशाली बनाने के लिए आत्मा को ईश्वरीय स्मृति और शक्ति का भोजन दो।

अव्यक्त इशारे - अब लगन की अग्नि को प्रज्वलित कर योग को ज्वाला रूप बनाओ

कई बच्चे कहते हैं कि जब योग में बैठते हैं तो आत्म-अभिमानी होने के बदले सेवा याद आती है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि लास्ट समय अगर अशरीरी बनने की बजाए सेवा का भी संकल्प चला तो सेकण्ड के पेपर में फेल हो जायेंगे। उस समय सिवाय बाप के, निराकारी, निर्विकारी, निरहंकारी - और कुछ याद नहीं। सेवा में फिर भी साकार में आ जायेंगे इसलिए जिस समय जो चाहे वह स्थिति हो नहीं तो धोखा मिल जायेगा।