15-01-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप आया है तुम बच्चों को स्वच्छ बुद्धि बनाने, जब स्वच्छ बनो तब तुम देवता बन सकेंगे''

प्रश्नः-
इस ड्रामा का बना-बनाया प्लैन कौन-सा है, जिससे बाप भी छूट नहीं सकता?

उत्तर:-
हर कल्प में बाप को अपने बच्चों के पास आना ही है, पतित दु:खी बच्चों को सुखी बनाना ही है - यह ड्रामा का प्लैन बना हुआ है, इस बंधन से बाप भी नहीं छूट सकता है।

प्रश्नः-
पढ़ाने वाले बाप की मुख्य विशेषता क्या है?

उत्तर:-
वह बहुत निरहंकारी बन पतित दुनिया, पतित तन में आते हैं। बाप इस समय तुम्हें स्वर्ग का मालिक बनाते, तुम फिर द्वापर में उनके लिए सोने का मन्दिर बनाते हो।

गीत:-
इस पाप की दुनिया से........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) माया का बहुत बड़ा पॉम्प है, इससे अपना मुँह मोड़ लेना है। सदा इसी खुशी में रोमांच खड़े हो कि हम तो अभी पुरूषोत्तम बन रहे हैं, भगवान हमें पढ़ाते हैं।

2) विश्व का राज्य-भाग्य लेने के लिए सिर्फ पवित्र बनना है। जैसे बाप निरहंकारी बन पतित दुनिया, पतित तन में आते हैं, ऐसे बाप समान निरहंकारी बन सेवा करनी है।

वरदान:-
एक के साथ सर्व रिश्ता निभाने वाले सर्व किनारों से मुक्त सम्पूर्ण फरिश्ता भव

जैसे कोई चीज़ बनाते हैं जब वह बनकर तैयार हो जाती है तो किनारा छोड़ देती है, ऐसे जितना सम्पन्न स्टेज के समीप आते जायेंगे उतना सर्व से किनारा होता जायेगा। जब सब बन्धनों से वृत्ति द्वारा किनारा हो जाए अर्थात् किसी में भी लगाव न हो तब सम्पूर्ण फरिश्ता बनेंगे। एक के साथ सर्व रिश्ते निभाना - यही ठिकाना है, इससे ही अन्तिम फरिश्ते जीवन की मंजिल समीप अनुभव होगी। बुद्धि का भटकना बन्द हो जायेगा।

स्लोगन:-
स्नेह ऐसा चुम्बक है जो ग्लानि करने वाले को भी समीप ले आता है।

अपनी शक्तिशाली मन्सा द्वारा सकाश देने की सेवा करो

मन्सा सेवा के लिए मन, बुद्धि व्यर्थ सोचने से मुक्त होना चाहिए। ‘मनमनाभव' के मन्त्र का सहज स्वरूप होना चाहिए। जिन श्रेष्ठ आत्माओं की श्रेष्ठ मन्सा अर्थात् संकल्प शक्तिशाली है, शुभ-भावना, शुभ-कामना वाले हैं वह मन्सा द्वारा शक्तियों का दान दे सकते हैं।