15-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप तुम रूहों
से रूहरिहान करते हैं, तुम आये हो बाप के पास 21 जन्मों के लिए अपनी लाइफ इनश्योर
करने, तुम्हारी लाइफ ऐसी इनश्योर होती है जो तुम अमर बन जाते हो''
प्रश्नः-
मनुष्य भी अपनी
लाइफ इनश्योर कराते और तुम बच्चे भी, दोनों में अन्तर क्या है?
उत्तर:-
मनुष्य अपनी
लाइफ इनश्योर कराते कि मर जायें तो परिवार वालों को पैसा मिले। तुम बच्चे इनश्योर
करते हो कि 21 जन्म हम मरें ही नहीं। अमर बन जायें। सतयुग में कोई इनश्योर कम्पनियाँ
होती नहीं। अभी तुम अपनी लाइफ इनश्योर कर देते हो फिर कभी मरेंगे नहीं, यह खुशी रहनी
चाहिए।
गीत:-
यह कौन आज आया
सवेरे.......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्तर्मुखी होकर अपनी अवस्था को जमाना है, अभ्यास करना है - मैं आत्मा
हूँ, अपने भाई (आत्मा) को बाप का सन्देश देता हूँ...... ऐसा आत्म-अभिमानी बनने की
गुप्त मेहनत करनी है।
2) रूहानी सर्विस का शौक रखना है। आप समान बनाने की मेहनत करनी है। संग का दोष
बड़ा गन्दा है, उससे अपने को सम्भालना है। उल्टे खान-पान की आदत नहीं डालनी है।
वरदान:-
विश्व कल्याण
के कार्य में सदा बिजी रहने वाले विश्व के आधारमूर्त भव
विश्व कल्याणकारी बच्चे
स्वप्न में भी फ्री नहीं रह सकते। जो दिन रात सेवा में बिजी रहते हैं उन्हें स्वप्न
में भी कई नई-नई बातें, सेवा के प्लैन व तरीके दिखाई देते हैं। वे सेवा में बिजी
होने के कारण अपने पुरूषार्थ के व्यर्थ से और औरों के भी व्यर्थ से बचे रहते हैं।
उनके सामने बेहद विश्व की आत्मायें सदा इमर्ज रहती हैं। उन्हें जरा भी अलबेलापन आ
नहीं सकता। ऐसे सेवाधारी बच्चों को आधारमूर्त बनने का वरदान प्राप्त हो जाता है।
स्लोगन:-
संगमयुग का एक-एक सेकण्ड वर्षो के समान है इसलिए अलबेलेपन में समय नहीं गंवाओ।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
जिसके साथ स्वयं
सर्वशक्तिमान् बाप कम्बाइण्ड है, सर्व शक्तियां स्वत: उनके साथ होंगी। जहाँ सर्व
शक्तियां हैं वहाँ सफलता न हो, यह असम्भव है। कोई अच्छा साथी लौकिक में भी मिल जाता
है तो उसको छोड़ नहीं सकते। ये तो अविनाशी साथी है। कभी धोखा देने वाला साथी नहीं
है। सदा ही साथ निभाने वाला साथी है, तो सदा साथ-साथ रहो।