15-05-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - याद का आधार है प्यार, प्यार में कमी है तो याद एकरस नहीं रह सकती और याद एकरस नहीं है तो प्यार नहीं मिल सकता''

प्रश्नः-
आत्मा की सबसे प्यारी चीज़ कौन सी है? उसकी निशानी क्या है?

उत्तर:-
यह शरीर आत्मा के लिए सबसे प्यारी चीज़ है। शरीर से इतना प्यार है जो वह छोड़ना नहीं चाहती। बचाव के लिए अनेक प्रबन्ध रचती है। बाप कहते बच्चे, यह तो तमोप्रधान छी-छी शरीर है। तुम्हें अब नया शरीर लेना है इसलिए इस पुराने शरीर से ममत्व निकाल दो। इस शरीर का भान न रहे, यही है मंज़िल।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) शिवबाबा के हम वारिस हैं, वह हमारा वारिस है, इस निश्चय से बाप पर पूरा फिदा होना है। जितना बाबा के पास जमा करेंगे उतना सेफ हो जायेगा। कहा जाता - किनकी दबी रहेगी धूल में......।

2) कांटे से फूल अभी ही बनना है। एकरस याद और सर्विस से बाप के प्यार का अधिकारी बनना है। दिन-प्रतिदिन याद में कदम आगे बढ़ाते रहना है।

वरदान:-
अपने पुरुषार्थ की विधि में स्वयं की प्रगति का अनुभव करने वाले सफलता के सितारे भव

जो अपने पुरुषार्थ की विधि में स्वयं की प्रगति वा सफलता का अनुभव करते हैं, वही सफलता के सितारे हैं, उनके संकल्प में स्वयं के पुरुषार्थ प्रति भी कभी “पता नहीं होगा या नहीं होगा'', कर सकेंगे या नहीं कर सकेंगे - यह असफलता का अंश-मात्र भी नहीं होगा। स्वयं प्रति सफलता अधिकार के रूप में अनुभव करेंगे। उन्हें सहज और स्वत: सफलता मिलती रहती है।

स्लोगन:-
सुख स्वरूप बनकर सुख दो तो पुरुषार्थ में दुआयें एड हो जायेंगी।