15-06-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


मीठे बच्चे - “मायाजीत बनने के लिए ग़फलत करना छोड़ो, दु:ख देना और दु:ख लेना - यह बहुत बड़ी ग़फलत है, जो तुम बच्चों को नहीं करनी चाहिए''

प्रश्नः-
बाप की हम सब बच्चों के प्रति कौन-सी एक आश है?

उत्तर:-
बाप की आश है कि मेरे सभी बच्चे मेरे समान एवर प्योर बन जायें। बाप एवर गोरा है, वह आया है बच्चों को काले से गोरा बनाने। माया काला बनाती, बाप गोरा बनाते हैं। लक्ष्मी-नारायण गोरे हैं, तब काले पतित मनुष्य जाकर उनकी महिमा गाते हैं, अपने को नीच समझते हैं। बाप की श्रीमत अब मिलती है - मीठे बच्चे, अब गोरा सतोप्रधान बनने का पुरूषार्थ करो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) यह टाइम मोस्ट वैल्युबल है, इसमें ही पुरूषार्थ कर बाप पर पूरा वारी जाना है। दैवी गुण धारण करने है। कोई प्रकार की ग़फलत नहीं करनी है। एक बाप की मत पर चलना है।

2) एम आब्जेक्ट को सामने रख बहुत खबरदारी से चलना है। आत्मा को सतोप्रधान पवित्र बनाने की मेहनत करनी है। अन्दर में जो भी दाग़ हैं, उन्हें जांच कर निकालना है।

वरदान:-
ब्राह्मण जीवन में हर सेकण्ड सुखमय स्थिति का अनुभव करने वाले सम्पूर्ण पवित्र आत्मा भव

पवित्रता को ही सुख-शान्ति की जननी कहा जाता है। किसी भी प्रकार की अपवित्रता दु:ख अशान्ति का अनुभव कराती है। ब्राह्मण जीवन अर्थात् हर सेकण्ड सुखमय स्थिति में रहने वाले। चाहे दु:ख का नज़ारा भी हो लेकिन जहाँ पवित्रता की शक्ति है वहाँ दु:ख का अनुभव नहीं हो सकता। पवित्र आत्मायें मास्टर सुख कर्ता बन दु:ख को रूहानी सुख के वायुमण्डल में परिवर्तन कर देती हैं।

स्लोगन:-
साधनों का प्रयोग करते साधना को बढ़ाना ही बेहद की वैराग्य वृत्ति है।