15-07-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - देह-अभिमान
आसुरी कैरेक्टर है, उसे बदल दैवी कैरेक्टर्स धारण करो तो रावण की जेल से छूट जायेंगे''
प्रश्नः-
हर एक आत्मा
अपने पाप कर्मों की सज़ा कैसे भोगती है, उससे बचने का साधन क्या है?
उत्तर:-
हर एक अपने
पापों की सज़ा एक तो गर्भ जेल में भोगते हैं, दूसरा रावण की जेल में अनेक प्रकार के
दु:ख उठाते हैं। बाबा आया है तुम बच्चों को इन जेलों से छुड़ाने। इनसे बचने के लिए
सिविलाइज्ड बनो।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कभी भी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करके अपनी स्थिति खराब नहीं करनी
है। अन्दर में सफाई रखनी है। झूठी बातें सुनकर अन्दर में जलना नहीं है, ईश्वरीय मत
ले लेनी है।
2) देही-अभिमानी बनने का पूरा पुरुषार्थ करना है, किसी की भी निंदा नहीं करनी
है। फायदा, नुकसान और इज्ज़त को ध्यान में रखते हुए क्रिमिनल आई को खत्म करना है।
बाप जो सुनाते हैं उसे एक कान से सुनकर दूसरे से निकालना नहीं है।
वरदान:-
त्रिकालदर्शी
की सीट पर सेट हो हर कर्म करने वाले शक्तिशाली आत्मा भव
जो बच्चे त्रिकालदर्शी की
सीट पर सेट होकर हर समय, हर कर्म करते हैं, वो जानते हैं कि बातें तो अनेक आनी हैं,
होनी हैं, चाहे स्वयं द्वारा, चाहे औरों द्वारा, चाहे माया वा प्रकृति द्वारा सब
प्रकार से परिस्थितियाँ तो आयेंगी, आनी ही हैं लेकिन स्व-स्थिति शक्तिशाली है तो
पर-स्थिति उसके आगे कुछ भी नहीं है। सिर्फ हर कर्म करने के पहले उसके आदि-मध्य-अन्त
तीनों काल चेक करके, समझ करके फिर कुछ भी करो तो शक्तिशाली बन परिस्थितियों को पार
कर लेंगे।
स्लोगन:-
सर्व
शक्ति व ज्ञान सम्पन्न बनना ही संगमयुग की प्रालब्ध है।