16-07-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - जो सर्व की सद्गति करने वाला जीवनमुक्ति दाता है, वह आपका बाप बना है, तुम उनकी सन्तान हो, तो कितना नशा रहना चाहिए''

प्रश्नः-
किन बच्चों की बुद्धि में बाबा की याद निरन्तर नहीं ठहर सकती है?

उत्तर:-
जिन्हें पूरा-पूरा निश्चय नहीं है उनकी बुद्धि में याद ठहर नहीं सकती। हमको कौन सिखला रहे हैं, यह जानते नहीं तो याद किसको करेंगे। जो यथार्थ पहचान कर याद करते हैं उनके ही विकर्म विनाश होते हैं। बाप स्वयं ही आकर अपनी और अपने घर की यथार्थ पहचान देते हैं।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैरागी बन अपनी देह को भी भूल शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है। निश्चयबुद्धि बन याद की यात्रा में रहना है।

2) हम सो, सो हम के मंत्र को यथार्थ समझकर अब ब्राह्मण सो देवता बनने का पुरुषार्थ करना है। सभी को इसका यथार्थ अर्थ समझाना है।

वरदान:-
अन्तर्मुखता के अभ्यास द्वारा अलौकिक भाषा को समझने वाले सदा सफलता सम्पन्न भव

जितना-जितना आप बच्चे अन्तर्मुखी स्वीट साइलेन्स स्वरूप में स्थित होते जायेंगे उतना नयनों की भाषा, भावना की भाषा और संकल्प की भाषा को सहज समझते जायेंगे। यह तीन प्रकार की भाषा रूहानी योगी जीवन की भाषा है। यह अलौकिक भाषायें बहुत शक्तिशाली हैं। समय प्रमाण इन तीनों भाषाओं द्वारा ही सहज सफलता प्राप्त होगी। इसलिए अब रूहानी भाषा के अभ्यासी बनो।

स्लोगन:-
आप इतने हल्के बन जाओ जो बाप आपको अपनी पलकों पर बिठाकर साथ ले जाए।

अव्यक्त इशारे - संकल्पों की शक्ति जमा कर श्रेष्ठ सेवा के निमित्त बनो

वर्तमान समय विश्व कल्याण करने का सहज साधन अपने श्रेष्ठ संकल्प की एकाग्रता है, इससे ही सर्व आत्माओं की भटकती हुई बुद्धि को एकाग्र कर सकेंगे। विश्व की सर्व आत्मायें विशेष यही चाहना रखती हैं कि भटकी हुई बुद्धि एकाग्र हो जाए वा मन चंचलता से एकाग्र हो जाए, इसके लिए एकाग्रता अर्थात् सदा एक बाप दूसरा न कोई, इस स्मृति से एकरस स्थिति में स्थित होने का विशेष अभ्यास करो।