16-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठेबच्चे - एकान्त में
बैठ अब ऐसा अभ्यास करो जो अनुभव हो मैं शरीर से भिन्न आत्मा हूँ, इसको ही जीते जी
मरना कहा जाता है''
प्रश्नः-
एकान्त का
अर्थ क्या है? एकान्त में बैठ तुमको कौन-सा अनुभव करना है?
उत्तर:-
एकान्त का
अर्थ है एक की याद में इस शरीर का अन्त हो अर्थात् एकान्त में बैठ ऐसा अनुभव करो कि
मैं आत्मा इस शरीर (चमड़ी) को छोड़ बाप के पास जाती हूँ। कोई भी याद न रहे।
बैठे-बैठेअशरीरी हो जाओ। जैसेकि हम इस शरीर से मर गये। बस हम आत्मा हैं, शिव बाबा
के बच्चे हैं, इस प्रैक्टिस से देह भान टूटता जायेगा।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विचार सागर मंथन कर अच्छे-अच्छे रत्न निकालने हैं, कमाई जमा करनी है।
सच्चा-सच्चा खुदाई खिदमतगार बन सेवा करनी है।
2) पढ़ाई का बहुत शौक रखना है। जब भी समय मिले एकान्त में चले जाना है। ऐसा
अभ्यास हो जो जीते जी इस शरीर से मरे हुए हैं, इस स्टेज का अनुभव होता रहे। देह का
भान भी भूल जाए।
वरदान:-
अपने मूल
संस्कारों के परिवर्तन द्वारा विश्व परिवर्तन करने वाले उदाहरण स्वरूप भव
हर एक में जो अपना मूल
संस्कार है, जिसको नेचर कहते हो, जो समय प्रति समय आगे बढ़ने में रूकावट डालता है,
उस मूल संस्कार का परिवर्तन करने वाले उदाहरण स्वरूप बनो तब सम्पूर्ण विश्व का
परिवर्तन होगा। अब ऐसा परिवर्तन करो जो कोई यह वर्णन न करे कि इनका यह संस्कार तो
शुरू से ही है। जब परसेन्टेज में, अंश मात्र भी पुराना कोई संस्कार दिखाई न दे,
वर्णन न हो तब कहेंगे यह सम्पूर्ण परिवर्तन के उदाहरण स्वरूप हैं।
स्लोगन:-
अब
प्रयत्न का समय बीत गया, इसलिए दिल से प्रतिज्ञा कर जीवन का परिवर्तन करो।
अव्यक्त इशारे -
स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
जैसे साइंस प्रयोग
में आती है तो समझते हैं कि साइंस अच्छा काम करती है, ऐसे साइलेन्स की शक्ति का
प्रयोग करो, इसके लिए एकाग्रता का अभ्यास बढ़ाओ। एकाग्रता का मूल आधार है - मन की
कन्ट्रोलिंग पावर, जिससे मनोबल बढ़ता है, इसके लिए एकान्तवासी बनो।