16-11-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - बाप आये हैं तुम्हें रूहानी हुनर सिखलाने, जिस हुनर से तुम सूर्य-चांद से भी पार शान्तिधाम में जाते हो''

प्रश्नः-
साइन्स घमण्ड और साइलेन्स घमण्ड में कौन-सा अन्तर है?

उत्तर:-
साइन्स घमण्डी चांद सितारों पर जाने के लिए कितना खर्चा करते हैं। शरीर का जोखिम उठाकर जाते हैं। उन्हें यह डर रहता है कि रॉकेट कहाँ फेल न हो जाए। तुम बच्चे साइलेन्स घमण्ड वाले बिगर कौड़ी खर्चा सूर्य-चांद से भी पार मूलवतन में चले जाते हो। तुम्हें कोई डर नहीं क्योंकि तुम शरीर को यहाँ ही छोड़कर जाते हो।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बाप से साइलेन्स का हुनर सीखकर इस हद की दुनिया से पार बेहद में जाना है। फ़खुर (नशा) रहे बाप हमें कितना वन्डरफुल ज्ञान देकर, कितनी बड़ी प्राइज़ देते हैं।

2) बेधड़क होकर बहुत रसीले ढंग से सेवा करनी है। माया की लड़ाई में बलवान बन जीत पानी है। मुरली सुनकर सुजाग रहना है और सबको सुजाग करना है।

वरदान:-
परमपूज्य बन परमात्म प्यार का अधिकार प्राप्त करने वाले सम्पूर्ण स्वच्छ आत्मा भव

सदा ये स्मृति जीवन में लाओ कि मैं पूज्य आत्मा इस शरीर रूपी मन्दिर में विराजमान हूँ। ऐसी पूज्य आत्मा ही सर्व की प्यारी है। उनकी जड़ मूर्ति भी सबको प्यारी लगती है। कोई आपस में भल झगड़ते हों लेकिन मूर्ति को प्यार करेंगे क्योंकि उनमें पवित्रता है। तो अपने आपसे पूछो मन-बुद्धि सम्पूर्ण स्वच्छ बनी है, जरा भी अस्वच्छता मिक्स तो नहीं है? जो ऐसे सम्पूर्ण स्वच्छ हैं वही परमात्म प्यार के अधिकारी हैं।

स्लोगन:-
ज्ञान के खजाने को स्वयं में धारण कर हर समय, हर कर्म समझ से करने वाले ही ज्ञानी-तू आत्मा हैं।