16-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - यह पावन बनने
की पढ़ाई सब पढ़ाइयों से सहज है, इसे बच्चे, जवान, बुढ़े सब पढ़ सकते हैं, सिर्फ 84
जन्मों को जानना है''
प्रश्नः-
हर एक छोटे वा
बड़े को कौन-सी प्रैक्टिस जरूर करनी चाहिए?
उत्तर:-
हर एक को मुरली
चलाने की प्रैक्टिस जरूर करनी चाहिए क्योंकि तुम मुरलीधर के बच्चे हो। अगर मुरली नहीं
चलाते हो तो ऊंच पद नहीं पा सकेंगे। किसी को सुनाते रहो तो मुख खुल जायेगा। तुम हर
एक को बाप समान टीचर जरूर बनना है। जो पढ़ते हो वह पढ़ाना है। छोटे बच्चों को भी यह
पढ़ाई पढ़ने का हक है। वह भी बेहद के बाप का वर्सा लेने के अधिकारी हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान सागर बाप जो रोज़ बेहद की पढ़ाई पढ़ाते हैं, उस पर विचार सागर
मंथन करना है। जो पढ़ा है वह दूसरों को भी जरूर पढ़ाना है।
2) यह बेहद का ड्रामा कैसे चल रहा है, यह अनादि बना-बनाया वन्डरफुल ड्रामा है,
इस राज़ को अच्छी रीति समझकर फिर समझाना है।
वरदान:-
पवित्रता की
श्रेष्ठ धारणा द्वारा एक धर्म के संस्कार वाले समर्थ सम्राट भव
आपके स्वराज्य का धर्म
अर्थात् धारणा है “पवित्रता''। एक धर्म अर्थात् एक धारणा। स्वप्न वा संकल्प मात्र
भी अपवित्रता अर्थात् दूसरा धर्म न हो क्योंकि जहाँ पवित्रता है वहाँ अपवित्रता
अर्थात् व्यर्थ वा विकल्प का नाम निशान नहीं होगा। ऐसे सम्पूर्ण पवित्रता के
संस्कार भरने वाले ही समर्थ सम्राट हैं। अभी के श्रेष्ठ संस्कारों के आधार से
भविष्य संसार बनता है। अभी के संस्कार भविष्य संसार का फाउण्डेशन हैं।
स्लोगन:-
विजयी
रत्न वही बनते हैं जिनकी सच्ची प्रीत एक परमात्मा से है।