17-07-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - इस शरीर को
न देख आत्मा को देखो, अपने को आत्मा समझ आत्मा से बात करो, इस अवस्था को जमाना है,
यही ऊंची मंज़िल है''
प्रश्नः-
तुम बच्चे बाप
के साथ ऊपर (घर में) कब जायेंगे?
उत्तर:-
जब अपवित्रता
की मात्रा रिंचक भी नहीं रहेगी। जैसे बाप प्योर है ऐसे तुम बच्चे भी प्योर बनेंगे
तब ऊपर जा सकेंगे। अभी तुम बच्चे बाप के सम्मुख हो। ज्ञान सागर से ज्ञान सुन-सुन कर
जब फुल हो जायेंगे, बाप को नॉलेज से खाली कर देंगे फिर वह भी शान्त हो जायेंगे और
तुम बच्चे भी शान्तिधाम में चले जायेंगे। वहाँ ज्ञान टपकना बंद हो जाता। सब कुछ दे
दिया फिर उनका पार्ट है साइलेन्स का।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) याद की मेहनत और ज्ञान की धारणा से कर्मातीत अवस्था को पाने का
पुरूषार्थ करना है। ज्ञान सागर की सम्पूर्ण नॉलेज स्वयं में धारण करनी है।
2) आत्मा में जो खाद पड़ी है उसे निकाल सम्पूर्ण वाइसलेस बनना है। रिंचक मात्र
भी अपवित्रता का अंश न रहे। हम आत्मा भाई-भाई हैं...... यह अभ्यास करना है।
वरदान:-
समय और संकल्प
रूपी खजाने पर अटेन्शन दे जमा का खाता बढ़ाने वाले पदमापदमपति भव
वैसे खजाने तो बहुत हैं
लेकिन समय और संकल्प विशेष इन दो खजानों पर अटेन्शन दो। हर समय संकल्प श्रेष्ठ और
शुभ हो तो जमा का खाता बढ़ता जायेगा। इस समय एक जमा करेंगे तो पदम मिलेगा, हिसाब
है। एक का पदमगुणा करके देने की यह बैंक है, इसलिए क्या भी हो, त्याग करना पड़े,
तपस्या करनी पड़े, निर्मान बनना पड़े, कुछ भी हो जाए....इन दो बातों पर अटेन्शन हो
तो पदमापदमपति बन जायेंगे।
स्लोगन:-
मनोबल
से सेवा करो तो उसकी प्रालब्ध कई गुणा ज्यादा मिलेगी।