17-10-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठेबच्चे - जैसे बाप
भविष्य 21 जन्मों के लिए सुख देते हैं वैसे आप बच्चे भी बाप के मददगार बनो,
प्रीत-बुद्धि बनो, दु:ख देने का कभी ख्याल भी न आये''
प्रश्नः-
तुम रूप-बसन्त
बच्चों का कर्तव्य क्या है? तुम्हें बाप की कौन-सी शिक्षायें मिली हुई हैं?
उत्तर:-
तुम रूप-बसन्त
बच्चों का कर्तव्य है मुख से सदैव रत्न निकालना, तुम्हारे मुख से कभी पत्थर नहीं
निकलने चाहिए। सर्व बच्चों प्रति बाप की शिक्षा है कि बच्चे 1. आपस में कभी एक-दो
को तंग नहीं करना, गुस्सा नहीं करना, यह आसुरी मनुष्यों का काम है। 2. मन्सा में भी
किसी को दु:ख देने का ख्याल न आये। 3. निंदा-स्तुति, मान-अपमान सब कुछ सहन करना।
अगर कोई कुछ बोलता है तो शान्त रहना। हाथ में लॉ नहीं उठाना।
गीत:-
तू प्यार का
सागर है........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) माया के वश होकर कोई भी आसुरी चलन नहीं चलनी है। अपनी चलन का रजिस्टर
रखना है। ऐसा कोई कर्म नहीं करना है जो पश्चाताप् करना पड़े।
2) बहुत-बहुत प्यार और नम्रता से सेवा करनी है। मीठा बनना है। मुख से आसुरी बोल
नहीं निकालने हैं। संग की बहुत-बहुत सम्भाल करनी है। श्रीमत पर चलते रहना है।
वरदान:-
संगठित रूप
में एकरस स्थिति के अभ्यास द्वारा विजय का नगाड़ा बजाने वाले एवररेडी भव
विश्व में विजय का नगाड़ा
तब बजेगा जब सभी के सब संकल्प एक संकल्प में समा जायेंगे। संगठित रूप में जब एक
सेकण्ड में सभी एकरस स्थिति में स्थित हो जाएं तब कहेंगे एवररेडी। एक सेकण्ड में
एकमत, एकरस स्थिति और एक संकल्प में स्थित होने की ही निशानी अंगुली दिखाई है,जिस
अंगुली से कलियुगी पर्वत उठ जाता, इसलिए संगठित रूप में एकरस स्थिति बनाने का
अभ्यास करो तब ही विश्व के अन्दर शक्ति सेना का नाम बाला होगा।
स्लोगन:-
श्रेष्ठ पुरुषार्थ में थकावट आना - यह भी आलस्य की निशानी है।
अव्यक्त इशारे -
स्वयं और सर्व के प्रति मन्सा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
आप अपनी आत्मिक
दृष्टि से अपने संकल्पों को सिद्ध कर सकते हो। वह रिद्धि सिद्धि है अल्पकाल, लेकिन
याद की विधि से संकल्पों और कर्मों की सिद्धि है अविनाशी। वह रिद्धि सिद्धि यूज़
करते हैं और आप याद की विधि से संकल्पों और कर्मों की सिद्धि प्राप्त करो।