17-12-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम बाप के
पास आये हो अपना सौभाग्य बनाने, परम सौभाग्य उन बच्चों का है - जिनका ईश्वर सब-कुछ
स्वीकार करता है''
प्रश्नः-
बच्चों की किस
एक भूल से माया बहुत बलवान बन जाती है?
उत्तर:-
बच्चे भोजन के
समय बाबा को भूल जाते हैं, बाबा को न खिलाने से माया भोजन खा जाती, जिससे वह बलवान
बन जाती है, फिर बच्चों को ही हैरान करती है। यह छोटी-सी भूल माया से हार खिला देती
है इसलिए बाप की आज्ञा है - बच्चे, याद में खाओ। पक्का प्रण करो - तुम्हीं से खाऊं.....
जब याद करेंगे तब वह राज़ी होगा।
गीत:-
आज नहीं तो कल
बिखरेंगे यह बादल.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत को नोट कर पुरूषार्थ करना है। बाप ने जो कर्म करके सिखाया है,
वही करने हैं। विचार सागर मंथन कर ज्ञान की प्वाइंट्स निकालनी हैं।
2) अपने आपसे प्रण करना है कि हम बाप की याद में ही भोजन खायेंगे। तुम्हीं से
बैठूँ, तुम्हीं से खाऊं... यह वायदा पक्का निभाना है।
वरदान:-
कर्म और संबंध
दोनों में स्वार्थ भाव से मुक्त रहने वाले बाप समान कर्मातीत भव
आप बच्चों की सेवा है सबको
मुक्त बनाने की। तो औरों को मुक्त बनाते स्वयं को बंधन में बांध नहीं देना। जब हद
के मेरे-मेरे से मुक्त होंगे तब अव्यक्त स्थिति का अनुभव कर सकेंगे। जो बच्चे लौकिक
और अलौकिक, कर्म और संबंध दोनों में स्वार्थ भाव से मुक्त हैं वही बाप समान
कर्मातीत स्थिति का अनुभव कर सकते हैं। तो चेक करो कहाँ तक कर्मो के बंधन से न्यारे
बने हैं? व्यर्थ स्वभाव-संस्कार के वश होने से मुक्त
स्लोगन:-
जो
सरलचित और सहज स्वभाव वाले हैं वही सहजयोगी, भोलानाथ के प्रिय हैं।