18-05-2024        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - याद की यात्रा में रहो तो तुम्हारे पाप कट जायेंगे, क्योंकि याद है तलवार की धार, इसमें अपने आपको ठगना नहीं''

प्रश्नः-
बच्चों को कैरेक्टर सुधारने के लिए बाप कौन-सा रास्ता बताते हैं?

उत्तर:-
बच्चे, अपना सच्चा-सच्चा चार्ट रखो। चार्ट रखने से ही कैरेक्टर सुधरेंगे। देखना है कि सारे दिन में हमारा कैरेक्टर कैसा रहा? किसी को दु:ख तो नहीं दिया? फालतू बात तो नहीं की? आत्मा समझकर बाप को कितना समय याद किया? कितनों को आप समान बनाया? ऐसा जो पोतामेल रखते उनका कैरेक्टर सुधरता जाता है। जो करेगा सो पायेगा। नहीं करेगा तो पछतायेगा।

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सवेरे-सवेरे एकान्त में बैठ प्रेम से बाप को याद करना है। सारी दुनिया को भूल जाना है।

2) बाप समान सबका कल्याणकारी बनना है, खामियां निकाल देनी है। अपने ऊपर बहुत नज़र रखनी है। अपना रजिस्टर स्वयं ही देखना है।

वरदान:-
सर्व प्राप्तियों के खजानों को स्मृति स्वरूप बन कार्य में लगाने वाले सदा सन्तुष्ट आत्मा भव

संगमयुग का विशेष वरदान सन्तुष्टता है और सन्तुष्टता का बीज सर्व प्राप्तियां हैं। असन्तुष्टता का बीज स्थूल वा सूक्ष्म अप्राप्ति है। ब्राह्मणों का गायन है अप्राप्त नहीं कोई वस्तु ब्राह्मणों के खजाने में। सभी बच्चों को एक द्वारा एक जैसा अखुट खजाना मिलता है। सिर्फ उन प्राप्त हुए खजानों को हर समय कार्य में लगाओ अर्थात् स्मृति स्वरूप बनो। बेहद की प्राप्तियों को हद में परिवर्तन नहीं करो तो सदा सन्तुष्ट रहेंगे।

स्लोगन:-
जहाँ निश्चय है वहाँ विजय के तकदीर की लकीर मस्तक पर है ही।