18-11-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बाप है
अविनाशी वैद्य, जो एक ही महामंत्र से तुम्हारे सब दु:ख दूर कर देता है''
प्रश्नः-
माया तुम्हारे
बीच में विघ्न क्यों डालती है? कोई कारण बताओ?
उत्तर:-
1. क्योंकि
तुम माया के बड़े ते बड़े ग्राहक हो। उसकी ग्राहकी खत्म होती है इसलिए विघ्न डालती
है। 2. जब अविनाशी वैद्य तुम्हें दवा देता है तो माया की बीमारी उथलती है इसलिए
विघ्नों से डरना नहीं है। मनमनाभव के मंत्र से माया भाग जायेगी।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी अवस्था को सदा एकरस और हर्षितमुख रखने के लिए बाप, टीचर और
सतगुरू तीनों को याद करना है। यहाँ से ही खुशी के संस्कार भरने हैं। वर्से की स्मृति
से चेहरा सदा चमकता रहे।
2) श्रीमत पर चलकर सारे विश्व को चेन्ज करने की सेवा करनी है। 5 विकारों में जो
फँसे हैं, उन्हें निकालना है। अपने स्वधर्म की पहचान देनी है।
वरदान:-
सर्व के प्रति
अपनी दृष्टि और भावना प्यार की रखने वाले सर्व के प्यारे फरिश्ता भव
स्वप्न में भी किसी के पास
फरिश्ता आता है तो कितना खुश होते हैं। फरिश्ता अर्थात् सर्व के प्यारे। हद के
प्यारे नहीं, बेहद के प्यारे। जो प्यार करे उसके प्यारे नहीं लेकिन सर्व के प्यारे।
कोई कैसी भी आत्मा हो लेकिन आपकी दृष्टि, आपकी भावना प्यार की हो - इसको कहा जाता
है सर्व के प्यारे। कोई इनसल्ट करे, घृणा करे तो भी उसके प्रति प्यार वा कल्याण की
भावना उत्पन्न हो क्योंकि उस समय वह परवश है।
स्लोगन:-
जो
सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न हैं वही सदा हर्षित, सदा सुखी और खुशनसीब हैं।