19-04-2025 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - बेहद बाप के
साथ व़फादार रहो तो पूरी माइट मिलेगी, माया पर जीत होती जायेगी''
प्रश्नः-
बाप के पास
मुख्य अथॉरिटी कौन-सी है? उसकी निशानी क्या है?
उत्तर:-
बाप के पास
मुख्य है ज्ञान की अथॉरिटी। ज्ञान सागर है इसलिए तुम बच्चों को पढ़ाई पढ़ाते हैं।
आप समान नॉले-जफुल बनाते हैं। तुम्हारे पास पढ़ाई की एम ऑब्जेक्ट है। पढ़ाई से ही
तुम ऊंच पद पाते हो।
गीत:-
बदल जाए दुनिया............
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) खाने पीने की छी-छी तमन्नाओं को छोड़ देही-अभिमानी बन सर्विस करनी
है। याद से माइट (शक्ति) ले निर्भय और अडोल अवस्था बनानी है।
2) जो पढ़ाई में तीखे होशियार हैं, उनका रिगार्ड रखना है। जो भटक रहे हैं, उनको
रास्ता बताने की युक्ति रचनी है। सबका कल्याण करना है।
वरदान:-
अपने महत्व व
कर्तव्य को जानने वाले सदा जागती ज्योत भव
आप बच्चे जग की ज्योति हो,
आपके परिवर्तन से विश्व का परिवर्तन होना है-इसलिए बीती सो बीती कर अपने महत्व वा
कर्तव्य को जानकर सदा जागती-ज्योत बनो। आप सेकण्ड में स्व परिवर्तन से विश्व
परिवर्तन कर सकते हो। सिर्फ प्रैक्टिस करो अभी-अभी कर्मयोगी, अभी-अभी कर्मातीत
स्टेज। जैसे आपकी रचना कछुआ सेकण्ड में सब अंग समेट लेता है। ऐसे आप मास्टर रचता
समेटने की शक्ति के आधार से सेकण्ड में सर्व संकल्पों को समा-कर एक संकल्प में
स्थित हो जाओ।
स्लोगन:-
लवलीन
स्थिति का अनुभव करने के लिए स्मृति-विस्मृति की युद्ध समाप्त करो।
मातेश्वरी जी के
मधुर महावाक्य:-
“आधा कल्प ज्ञान
ब्रह्मा का दिन और आधा कल्प भक्ति ब्रह्मा की रात''
आधाकल्प है ब्रह्मा
का दिन, आधाकल्प है ब्रह्मा की रात, अब रात पूरी हो सवेरा आना है। अब परमात्मा आकर
अन्धियारा की अन्त कर सोझरे की आदि करता है, ज्ञान से है रोशनी भक्ति से है
अन्धियारा। गीत में भी कहते हैं इस पाप की दुनिया से दूर कहीं ले चल, चित चैन जहाँ
पावे... यह है बेचैन दुनिया, जहाँ चैन नहीं है। मुक्ति में न है चैन, न है बेचैन।
सतयुग त्रेता है चैन की दुनिया, जिस सुखधाम को सभी याद करते हैं। तो अब तुम चैन की
दुनिया में चल रहे हो, वहाँ कोई अपवित्र आत्मा जा नहीं सकती, वह अन्त में धर्मराज़
के डण्डे खाए कर्म-बन्धन से मुक्त हो शुद्ध संस्कार ले जाते हैं क्योंकि वहाँ न
अशुद्ध संस्कार होते, न पाप होता है। जब आत्मा अपने असली बाप को भूल जाती है तो यह
भूल भूलैया का अनादि खेल हार जीत का बना हुआ है इसलिए अपन इस सर्वशक्तिवान परमात्मा
द्वारा शक्ति ले विकारों के ऊपर विजय पहन 21 जन्मों के लिए राज्य भाग्य ले रहे हैं।
अच्छा - ओम् शान्ति।
अव्यक्त इशारे -
“कम्बाइण्ड रूप की स्मृति से सदा विजयी बनो''
मुझ रूह का
करावनहार वह सुप्रीम रूह है। करावनहार के आधार पर मैं निमित्त करने वाला हूँ। मैं
करनहार वह करावनहार है। वह चला रहा है, मैं चल रहा हूँ। हर डायरेक्शन पर मुझ रूह के
लिए संकल्प, बोल और कर्म में सदा हजूर हाजिर है इसलिए हजूर के आगे सदा मैं रूह भी
हाज़िर हूँ। सदा इसी कम्बाइन्ड रूप में रहो।