19-12-2025        प्रात:मुरली    ओम् शान्ति     "बापदादा"        मधुबन


“मीठे बच्चे - अब घर जाना है इसलिए देही-अभिमानी बनो, एक बाप को याद करो तो अन्त मति सो गति हो जायेगी''

प्रश्नः-
वण्डरफुल बाप ने तुम्हें कौन सा एक वण्डरफुल राज़ सुनाया है?

उत्तर:-
बाबा कहते - बच्चे, यह अनादि अविनाशी ड्रामा बना हुआ है, इसमें हर एक का पार्ट नूंधा हुआ है। कुछ भी होता है नथिंग न्यु। बाप कहते हैं बच्चे इसमें मेरी भी कोई बड़ाई नहीं, मैं भी ड्रामा के बंधन में हूँ। बाप यह वण्डरफुल राज़ सुनाकर जैसे अपने पार्ट को भी महत्व नहीं देते हैं।

गीत:-
आखिर वह दिन आया आज........

धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कोई भी ग्रहचारी आती है तो दिलशिकस्त हो बैठ नहीं जाना है। फिर से पुरुषार्थ कर, बाप की याद में रह ऊंच पद पाना है।

2) स्वयं की स्थिति याद से ऐसी मजबूत बनानी है जो कोई भी माया का तूफान वार न कर सके। विकारों से अपनी सम्भाल करते रहना है।

वरदान:-
सर्व शक्तियों की लाइट द्वारा आत्माओं को रास्ता दिखाने वाले चैतन्य लाइट हाउस भव

यदि सदा इस स्मृति में रहो कि मैं आत्मा विश्व कल्याण की सेवा के लिए परमधाम से अवतरित हुई हूँ तो जो भी संकल्प करेंगे, बोल बोलेंगे उसमें विश्व कल्याण समाया हुआ होगा। और यही स्मृति लाइट हाउस का कार्य करेगी। जैसे उस लाइट हाउस से एक रंग की लाइट निकलती है ऐसे आप चैतन्य लाइट हाउस द्वारा सर्व शक्तियों की लाइट आत्माओं को हर कदम में रास्ता दिखाने का कार्य करती रहेगी।

स्लोगन:-
स्नेह और सहयोग के साथ शक्ति रूप बनो तो राजधानी में नम्बर आगे मिल जायेगा।

अव्यक्त इशारे - अब सम्पन्न वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ

जैसे कर्म में आना स्वाभाविक हो गया है वैसे कर्मातीत होना भी स्वाभाविक हो जाए। कर्म भी करो और याद में भी रहो। जो सदा कर्मयोगी की स्टेज पर रहते हैं, वह सहज ही कर्मातीत हो सकते हैं। जब चाहे कर्म में आयें और जब चाहें न्यारे बन जायें, यह प्रैक्टिस कर्म के बीच-बीच में करते रहो।